उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान से आईं 22 औरतें, यहां हो गए 95 बच्चे…
- उत्तर प्रदेश में 22 पाकिस्तानी महिलाएं दशकों से रह रही हैं.
- इन महिलाओं के 95 बच्चे हैं, जिनमें से कई वयस्क हो चुके हैं.
- भारतीय नागरिकता कानून के अनुसार, ये बच्चे भारतीय नागरिक माने जा सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत में पाकिस्तान के खिलाफ खूब गुस्सा देखा जा रहा है. बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर 26 पर्यटकों को गोली मार दी थी, जिनमें से अधिकतर हिन्दू थे. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ तबाड़तोड़ एक्शन लिए हैं. इन्हीं में एक बड़ा पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द करते उन्हें वापस भेजना था. भारत के तमाम शहरों में पाकिस्तानी नागरिकों को चुन-चुनकर निकाला जा रहा है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां पाकिस्तानी नागरिकता वाली 22 महिलाएं मिली हैं, जो भारतीय पुरुषों से शादी करके दशकों से यहां रह रही हैं. इन सबके अब 95 बच्चे हो चुक हैं, जिनमें से कई की शादी हो चुकी है और कुछ दादी-नानी तक बन चुकी हैं.
यह खबर सामने आने के बाद सभी जगहों पर सुर्खियों में छा गई. सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा होने लगी. इसे लेकर लोग एक सवाल तो यही करते दिखे कि क्या इन बच्चों को भारत की नागरिकता मिलेगी, या वे पाकिस्तानी कहलाएंगे? तो चलिये इस मामले को विस्तार से समझते हैं और दोनों देशों के नागरिकता कानूनों की नजर से इस सवाल का जवाब पता करते हैं…
क्या है पूरा मामला?
मुरादाबाद में रह रहीं इन 22 पाकिस्तानी महिलाओं ने भारतीय पुरुषों से शादी की और फिर लॉन्ग टर्म वीजा पर यहीं बस गईं. इस दौरान सभी के मिलाकर कुल 95 बच्चे हुए, जिनमें से कई अब वयस्क हो चुके हैं. इन बच्चों का जन्म भारत में हुआ है, और वे भारतीय नागरिकता के हकदार माने जा सकते हैं. लेकिन उनकी मां अभी भी पाकिस्तानी नागरिक हैं और उनकी नागरिकता की प्रक्रिया लंबित है. इस मामले ने भारत और पाकिस्तान के बीच नागरिकता कानूनों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.
भारत का नागरिकता अधिनियम, 1955 जन्म के आधार पर नागरिकता देता है, लेकिन इसमें कई शर्तें हैं. 26 जनवरी, 1950 से 1 जुलाई, 1987 के बीच भारत में जन्मे व्यक्ति खुद ब खुद भारतीय नागरिक माने जाते हैं. वहीं 1987 में इस कानून को बदल दिया गया था. तब यह प्रावधान किया गया कि 1 जुलाई 1987 के बाद जन्में बच्चों की नागरिकता के लिए माता-पिता में से कम से कम एक का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
वर्ष 2004 में नागरिकता कानून को फिर से बदला गया. इसके अनुसार 3 दिसंबर 2024 के बाद जन्मे बच्चों के लिए माता-पिता में से एक की भारतीय नागरिकता के साथ ही यह प्रावधान भी जोड़ा गया कि माता-पिता में से कोई भी अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए.
मुरादाबाद के मामले में ये बच्चे भारत में पैदा हुए हैं और उनके पिता भारतीय नागरिक हैं. उनकी मां भले ही पाकिस्तानी हों, लेकिन वे वैध वीजा पर भारत में रह रही हैं, इसलिए इन्हें ‘अवैध प्रवासी’ नहीं माना जाएगा. इस आधार पर, ये बच्चे जन्म के आधार पर भारतीय नागरिक माने जा सकते हैं.
हालांकि इन बच्चों की नागरिकता में पाकिस्तानी कानून का पेंच भी फंस सकता है. पाकिस्तान के कानून की बात करें तो वहां जन्मस्थल नहीं, बल्कि वंश की अहमियत है. पाकिस्तान का नागरिकता अधिनियम, 1951 कहता है कि अगर मां या पिता में से कोई भी पाकिस्तानी नागरिक है, तो बच्चा भी पाकिस्तानी नागरिक माना जाएगा… चाहे उसका जन्म भारत में क्यों न हुआ हो. यानी इन 95 बच्चों को पाकिस्तान की नागरिकता तो स्वतः प्राप्त है ही.
यहां ध्यान देने वाली यह है कि भारत या पाकिस्तान में दोहरी नागरिकता का कोई प्रवाधान नहीं है. भारत दोहरी नागरिकता की बिल्कुल इजाजत नहीं देता. इसका मतलब यह है कि अगर कोई बच्चा भारत की नागरिकता चाहता है, तो उसे पाकिस्तान की नागरिकता त्यागनी होगी. लेकिन यह प्रक्रिया अपने-आप नहीं होती; इसके लिए कानूनी आवेदन, सत्यापन, और इस मामले में कूटनीतिक अनुमति भी जरूरी होगी.
वैसे भारत और पाकिस्तान जारी मौजूदा तनाव इस पूरे मामले को बेहद पेचीदा बना सकता है. 22 अप्रैल हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानियों पर निगरानी बढ़ा दी है. शॉर्ट-टर्म वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को बड़े पैमाने पर डिपोर्ट किया जा रहा है. वहीं जिनके पास लंबी अवधि का वीजा हैं, उन पर भी जांच और निगरानी बढ़ा दी गई है. ऐसी स्थिति में इन महिलाओं की वीजा वैधता, उनके पतियों की नागरिकता स्थिति और बच्चों के जन्म का समय, तीनों ही फैक्टर इन महिलाओं के बच्चों की नागरिकता तय करने में निर्णायक साबित होंगे.