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लट्ठमार, लड्डूमार और फूलों की होली से सराबोर हुआ ब्रज

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मथुरा: ब्रज में होली का महोत्सव द्वापर युग से मनाया जा रहा है. यहां की होली कई रंगों और परंपराओं से भरी होती है. लड्डू होली, जलेबी होली, फूलों की होली के साथ-साथ यहाँ की लठमार होली भी देश भर में प्रसिद्ध है. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस अनोखे होली उत्सव को देखने और इसमें शामिल होने आते हैं.

ब्रज में होली का आयोजन
ब्रज के सभी मुख्य मंदिरों में अबीर-गुलाल से हर दिन होली खेली जाती है. होली के समय यहाँ रसिया गीत गाए जाते हैं, जो राधा-कृष्ण के प्रेम पर आधारित होते हैं. ब्रज में होली कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है और कई तरह से खेली जाती है, जैसे:–लट्ठमार होली, लड्डूमार होली, रंगों की होली, गुलाल की होली, फूलों की होली, कीचड़ की होली

  • 28 फरवरी: शिवरात्रि पर होली की पहली चौपाई लाड़लीजी मंदिर से निकलेगी.
  • 7 मार्च: फाग आमंत्रण (सखियों का न्यौता) और शाम को लाड़लीजी महल में लड्डू होली.
  • 8 मार्च: बरसाने की रंगीली गली में लठामार होली.
  • 9 मार्च: नदगांव में लठामार होली.
  • 10 मार्च: वृन्दावन की रंगभरनी होली और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की होली, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली, श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर हुरंगा.
  • 11 मार्च: भारत विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर में होली, गोकुल के रमणरेती में होली.
  • 12 मार्च: वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर में होली, शहर में चतुर्वेदी समाज का होली डोला.
  • 13 मार्च: फालैन समेत पूरे ब्रज में होलिका दहन.
  • 14 मार्च: धुलहड़ी, रंगों की होली.
  • 15 मार्च: बल्देव में दाऊजी का हुरंगा.
  • 16 मार्च: नंदगाँव का हुरंगा.
  • 17 मार्च: गांव जाब का परंपरागत हुरंगा.
  • 18 मार्च: मुखराई का चरकुला नृत्य.
  • 19 मार्च: बढैन हुरंगा.
  • 20 मार्च: गिडोह का हुरंगा.
  • 21 मार्च: रंग पंचमी, खायरा का हुरंगा.
  • 22 मार्च: वृन्दावन रंगनाथजी की होली.
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