लखनऊ : आश्रय केंद्र में खाने से 35 की तबीयत बिगड़ी, पेट में 6 इंच के कीड़े
लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र में 4 बच्चों की मौत हो गई। इनमें 2 बच्चियां हैं। यहां के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 20 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर है। 4 बच्चों की मौत की जानकारी मिलते ही प्रशासन में हडकंप मच गया।
बुधवार रात 8 बजे डीएम विशाख जी लोकबंधु हास्पिटल पहुंचे। उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। गुरुवार सुबह 9 बजे कमिश्नर रोशन जैकब, प्रमुख सचिव लीना जौहरी और एक बार फिर डीएम लोकबंधु हॉस्पिटल पहुंचे। बच्चों से बातचीत की। कहा कि आश्रय केंद्र के पानी की जांच कराई जाएगी।
वहीं, आश्रय केंद्र, लोकबंधु हॉस्पिटल और जिला प्रशासन ने घटना की जानकारी को 3 दिन तक छिपाए रखा। एक के बाद मौतें हुईं, लेकिन राजधानी के आलाधिकारियों को इससे गुमराह किया गया। इसकी जानकारी तब हुई, जब केजीएमयू में भर्ती एक बच्चे की मौत हो गई।
बच्चों के बीमार होने की शुरुआती वजह फूड पॉइजनिंग बताई जा रही है। बच्चों को उल्टियां हो रही हैं, उनमें 6 इंच तक के कीड़े भी निकले हैं। इन कीड़ों के दिमाग तक पहुंचने का डर है। हालांकि, लोकबंधु अस्पताल के CMS डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि बच्चों में पानी की कमी थी। सभी में डायरिया के लक्षण मिले हैं।
निर्वाण आश्रय केंद्र पारा इलाके के बुद्धेश्वर में बना है। यह सरकार की मदद से पीपीपी मॉडल पर संचालित होता है। मानसिक कमजोर यानी विमंदित अनाथ और लावारिस बच्चों को यहां रखा जाता है। अभी यहां 146 बच्चे हैं। ज्यादातर की उम्र 10 से 18 साल के बीच है।
निर्वाण आश्रय के कर्मचारियों ने बताया कि 23 मार्च की रात खाना खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। 23 मार्च से 26 मार्च के बीच 35 बच्चों को अलग-अलग अस्पताल ले जाया गया।अगले दिन यानी 24 मार्च को लोकबंधु अस्पताल में एक बच्ची दीपा (15) की मौत हो गई। जबकि बलरामपुर अस्पताल में सूरज (12) और ठाकुरगंज अस्पताल में शिवांक (15) की मौत हुई।
हैरानी की बात यह है कि 24 मार्च को 3 बच्चों की मौत के बाद भी आश्रय स्थल का प्रशासन पूरी घटना को दबाए रहा। 26 फरवरी की सुबह रेनू (13) की लोकबंधु अस्पताल में मौत हुई। जबकि गोपाल और लकी नाम के दो बच्चों को गंभीर हालत में KGMU रेफर किया गया। इसके बाद मामला सुर्खियो में आया।
ठाकुरगंज टीबी अस्पताल के CMS डॉ. एसपी सिंह ने बताया- यहां कुल 6 बच्चे लाए गए थे। सभी की हालत गंभीर थी। पल्स न के बराबर थी। बाद में रिकवर किया गया, फिर आश्रय स्थल की रिक्वेस्ट पर 5 बच्चों को लोकबंधु रेफर किया गया। जबकि एक की मौत हो गई।
4 बच्चों को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां भी एक बच्चे की मौत हुई। 2 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। जबकि एक अभी एडमिट है। लोकबंधु अस्पताल के CMS अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि कुल 25 बच्चों को लाया गया था। इसमें 2 की मौत हो गई। 16 अभी एडमिट हैं। 7 को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
4 बच्चों की मौत के बाद निर्वाण आश्रय केंद्र के बदइंतजामी की हकीकत खुल गई। कमिश्नर रोशन जैकब ने कहा कि आश्रय केंद्र के पानी की जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा- आश्रय केंद्र यानी रिहैबिलिटेशन सेंटर का कुछ महीने पहले दौरा किया था। तब सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गई थी। कुछ कमियां थी उनको भी ठीक करने के निर्देश दिए थे। जरूरी बजट भी दिया गया था।
कमिश्नर ने कहा- नगर निगम, FSDA समेत कई विभागों की टीम को आश्रय सेंटर भेजा गया है। टीमें वहां सभी इंतजाम की जांच करेंगी। वहीं, घटना को छिपाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि सेंटर ने घटना की जानकारी सही समय पर दी या नहीं, इसकी जांच कराई जा रही है।
निर्वाण आश्रय केंद्र में विमंदित बच्चों की देखभाल केयर टेकर करते हैं। सूत्रों ने बताया कि बच्चों को सही समय पर खाना और पानी तक नहीं दिया जाता। सुबह का बचा हुआ भोजन रात में और रात का बचा खाना सुबह दिया जाता है। रविवार यानी 23 मार्च को भी दिन की बची हुई खिचड़ी रात में बच्चों को दही के साथ खाने के लिए दी गई थी।
इसके कुछ देर बाद बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हो गई। जिन बच्चों की हालत ज्यादा खराब हुई उनको हॉस्पिटल ले जाया गया। ज्यादा तबीयत बिगड़ने के बाद बाकी बच्चों को अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों का कहना है कि डायरिया या फूड पॉइंजनिंग में बच्चों को सही समय पर ट्रीटमेंट मिल जाता तो जान बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी अस्पताल पहुंचे। इन अधिकारियों ने अस्पताल में भर्ती बच्चों से पूछताछ की। अभी कोई भी अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग एवं खाद्य सुरक्षा विभाग की एक टीम ने रिहैब सेंटर पहुंच कर खाने का सैंपल लिया है।
डीपीओ विकास सिंह ने बताया की इस रिहैब सेंटर में कुल 146 बच्चे-बच्चियां हैं। रविवार से अचानक एक के बाद एक बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। कुछ को उल्टी भी हो रही थी। हम डॉक्टरों से संपर्क में हैं। जो बच्चे भर्ती हैं, उनका बेहतर इलाज किया जा रहा है। बच्चों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट में मौत का सही कारण पता चल सकेगा। विभागीय जांच भी कराई जाएगी।
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया- 23 मार्च से आश्रय केंद्र से बच्चों के आने की शुरुआत हुई थी। ये बच्चे मानसिक दिव्यांग थे। ऐसे में अपनी कंडीशन को लेकर ठीक तरीके से बता नहीं पा रहे थे। पेट पर हाथ रखे थे, इसलिए समझ आ रहा था कि पेट में दर्द हैं। वॉमिटिंग और लूज मोशन के भी लक्षण नजर आ रहे थे।
इस बीच 24 मार्च की रात में एक बच्चे की डेथ हो गई। पुलिस जानकारी देने के बाद शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। इस दौरान 5 बच्चों को ठीक करके डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, 26 तारीख को दूसरे बच्चे की मौत हो गई। मौजूदा समय कुल 16 बच्चें एडमिट हैं।