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लखनऊ : 120 करोड़ की धोखाधड़ी के 7 आरोपी गिरफ्तार, फर्जी मेल आईडी बनाकर की थी ठगी

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लखनऊ पुलिस ने 120 करोड़ की धोखाधड़ी के 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जालसाजों ने यूनियन बैंक का मैनेजर बनकर साइबर फ्रॉड किया था। पुलिस ने गुजरात से 2 और यूपी से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी अभी भी फरार है। उसकी तलाश की जा रही है।

पुलिस ने 119 करोड रूपये की रिकवरी कर लिया है। 12 जून को एकेटीयू के बैंक खाते से एफडी पर ज्यादा इंटरेस्ट देने का लालच देकर 120 करोड़ की ठगी की गई थी।

12 जून को यूनियन बैंक के मैनेजर अनुज कुमार सक्सेना ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि उनकी ब्रांच से जालसाज ने बैंक का ऑफर लेटर लेकर अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) से 120 करोड़ की धोखाधड़ी की। जालसाज बापू भवन के सामने यूनियन बैंक की ब्रांच के पर एक व्यक्ति एकेटीयू का फाइनेंस ऑफिसर बनकर गया।

बैंक में एकेटीयू के खाते की एफडी कराने की बात कही। बैंक मैनेजर ने अपना विजिटिंग कार्ड और ऑफर लेटर दे दिया। जिसे जालसाज ने एडिट करके अपने नाम से बना लिया। इसके अलावा यूनियन बैंक और एकेटीयू की फर्जी मेल आईडी बनाई। फर्जी मेल से एकेटीयू की ऑफिसियल मेल पर और एकेटीयू की फर्जी आईडी से बैंक की असली आईडी पर मेल से लेटर चलाया।

इसके बाद एकेटीयू में खुद को बैंक मैनेजर बनकर पहुंचा। वहां पर एफडी में सबसे ज्यादा इंटरेस्ट देने का लालच दिया। इस एकेटीयू का फाइनेंस ऑफिसर उसके झांसे में आ गया और 120 करोड़ की एफडी कराने के लिए तैयार हो गया। एकेटीयू का आथारिटी लेटर व केवाईसी लेकर 120 करोड़ आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर करवा लिए।

मामले की गंभीरता देखते हुए पुलिस ने तीन टीमों का गठन किया था। सर्विलांस की मदद से अमरौली सूरत गुजरात के रहने वाले देवेंद्र जोशी, अहमदाबाद के रहने वाले उदय पटेल, उन्नाव, यूपी के रहने वाले राजेश बाबू, बीकेटी लखनऊ के गिरीश चंद्र, महानगर लखनऊ के शैलेश कुमार रघुवंशी, मुसाफिर खाना अमेठी के रहने वाले दस्तगीर आलम, गांधीनगर बस्ती के रहने वाले कृष्णकांत को गिरफ्तार किया। मामले का मास्टर अनुराग श्रीवास्तव अभी फरार है। जिसकी तलाश की जा रही है। पुलिस ने 119 करोड़ रिकवर कर लिए हैं, जबकि 1 करोड़ की रिकवरी होनी बाकी है।

मामले में शामिल राजेश बाबू फिल्म प्रोड्यूसर है। भोजपुरी फिल्म दबंग दामाद प्रोड्यूस कर चुका है। जिसके कलाकार रितेश पाण्डेय और अकक्षरा सिंह थे। वहीं शैलेश कुमार फार्मासिस्ट है। जिसके खाते से विटनेस कराकर नया फर्जी खाता खुलवाया था।

सूरत का रहने वाला कपिल और राजेश बाबू मुंबई में साथ काम किए थे। इसके बाद रजेश बाबू फिल्म की प्रोडक्शन लाइन में आ गया। काफी समय बाद कपिल ने राजेश से संपर्क किया। एक बैंक एकाउंट के बारे में पूछा जिसमें 200-300 करोड़ रूपए आ सके। इसके बाद राजेश ने गिरीश चंद्र से संपर्क कराया। गिरीश ने शैलेश कुमार रघुवंशी से मिलवाया। शैलेश कॉन्ट्रैक्टर था तो उसके एकाउंट में करोड़ों का ट्रांजेक्शन होता था। उसने बैंक मैनेजर से संपर्क करके फर्जी खाता खुलवाया। जिसमें धोखाधड़ी का पैसा आया। जिसे तुरंत गुजरात के अलग-अलग खातों में भेज दिया गया। जिसमें से श्रृद्धा एजुकेशन सोसाइटी के नाम पर कुछ पैसे भेजे गए। इस घटना को अंजाम देने के लिए सभी आरोपियों ने लखनऊ के होटल में मीटिंग भी की थी। हालांकि मामले के दोनों मास्टरमाइंड कपिल और अनुराग अभी फरार हैं।

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