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नोएडा : विदेशी कंपनियों की फर्जी इनवॉइस बनाकर 1000 करोड़ों का घोटाला, मुख्य आरोपी अभी फरार

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नोएडा, 6 महीने पहले नोएडा पुलिस ने फर्जी कंपनी खड़ी करके 15 हजार करोड़ का घोटाला करने वाले गैंग का खुलासा किया था। इसी गैंग से बचकर निकले मुख्य आरोपी निशांत ने अपने दोस्तों के एक ई-मेल ID से डेटा लेकर फिर से 250 फेक कंपनी खड़ी कर ली। और फिर करीब 1000 करोड़ रुपए का घोटाला किया।

और फर्जी ई-वे बिल के जरिए जीएसटी रिफंड लेकर सरकार को राजस्व का चूना लगाता रहा। हालाकि जांच में जुटी पुलिस को लगातार फर्जीवाड़े की शिकायत मिल रही थी। इसी पर सक्रिय हुई पुलिस ने गुरुवार को 4 आरोपियों को अरेस्ट किया जबकि निशांत अभी फरार चल रहा है।

  • अब बताते हैं नए गैंग के पास इतना डेटा आया कहां से

निशांत ने 4 से 5 लोगों को हायर किया और एक गैंग बनाया। निशांत 15 हजार करोड़ का घोटाला करने वाले गैंग का सक्रिय मेंबर भी है। पहले पकड़े गए गैंग लीडर अर्चित और रंचित के साथ ही रहता था।उसने इन दोनों की एक ई-मेल ID और एक्सिस पासवर्ड अपने पास रखा।

इसके बाद पासवर्ड बदल दिया गया। इसी ई-मेल से उसने डेटा लिया। इस डेटा को उसने अपने गैंग को दिया। फर्जी जीएसटी फर्म और कंपनियों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया। इस तरह उसने 250 नई कंपनियां बनाई।

पुलिस 15 हजार करोड़ के घोटाले मामले की जांच 6 महीने से कर रही है। इसके बाद भी करीब 150 पैन और आधार कार्ड पर फर्जी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन की शिकायत मिल रही थी। पुलिस ने फाइलों को दोबारा से खंगाला, इलेक्ट्रानिक सर्विलांस के आधार पर जांच शुरू की।

पुलिस को एक ई-मेल आईडी मिली। इसे एक्सिस करने पर थोड़ी परेशानी हुई। देखा तो ये ई-मेल आईडी वही है जिसे पहले वाला गैंग आपरेट कर रहा था। ये पुलिस के लिए पहला एक्सिस था।

पुलिस फर्जी फर्म के रजिस्टर्ड पते पर गई। वहां उन्हें कोई नहीं मिला। इसके बाद मुखबिर तंत्र एक्टिव किया गया। इससे पता लगा कि ये लोग जिस पते पर कंपनी को रजिस्टर्ड कराते थे, वहां से काफी दूर दूसरे किसी रेजिडेंसिएशल सेक्टर में कमरा किराए पर लेकर कंपनी आपरेट करते थे।

पुलिस ने वहां रेड की और गैंग के चार लोग पीयूष गुप्ता, राकेश कुमार, दिलीप शर्मा व राहुल निगम को गिरफ्तार किया। ये चारों दो टीम में काम करते थे। पुलिस ने इनसे पूछताछ की और निशांत का नाम सामने आया। रिकार्ड खंगालने पर सभी स्थिति साफ हो गई।

निशांत ये पूरा गैंग मुंबई से आपरेट कर रहा था। उसने अपना लेन देन विदेशी कंपनियों से दिखाने के लिए IEC ( इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट कोड ) तैयार किया था। थाइलैंड, सिंगापुर , ताईवान , फिलिपींस , वियतनाम आदि देशों में कंपनियों के फर्जी तरीके से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट दिखाकर उनका अपने कंपनी की तरफ से बिल जनरेट करता था। यही नहीं फर्जी कंपनियों को सही तरीके से चलाने के लिए कई बार विदेश यात्रा पर भी गया।

फर्जी कंपनी जालसाज खुद ही खरीदते, फिर फर्जी रिटर्न अप्लाय करते ये लोग 2 टीम बनाकर काम करते थे। पहली टीम फर्जी तरीके से कंपनी बनाती थी। इस कंपनी को ये लोग दूसरी टीम के हाथ बेच देते थे।

इसमें फर्जी बिल के जरिए लाखों का टर्नओवर दिखाया जाता था। इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत रिटर्न के लिए अप्लाई करती थी। GST डिपार्टमेंट कंपनी और उसके टर्नओवर को असली मानते हुए रिफंड का पेमेंट करता रहा।

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