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Rana Sanga: कौन थे राणा सांगा, 80 घाव आने के बाद भी नहीं मानी हार

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जयपुर: समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान से प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। सुमन के बयान पर बीजेपी के बाद अब कांग्रेस के राजपूत नेता भी इसके विरोध में उतर गए हैं। इससे पहले सीएम भजनलाल, डिप्टी सीएम दीया कुमारी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। वहीं अब कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी सपा सांसद पर जमकर बरसे। उन्होंने वीर शिरोमणि राणा सांगा के अपमान पर उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है। इस रिपोर्ट के जरिए जानिए आखिर कौन है वीर राणा सांगा, जिन पर विवादित बयान से बवाल मचा हुआ है।

राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में राणा सांगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनके युद्ध में 80 घाव लगने की गौरव गाथा प्रदेश में बड़े सम्मान के साथ गाई जाती है। राणा सांगा का पूरा नाम ‘महाराणा संग्राम सिंह‘ है। 1527 में भरतपुर के रूपवास तहसील के खानवा में बाबर और राणा सांगा के बीच जोरदार युद्ध हुआ। इतिहासकारों के अनुसार इस युद्ध में राणा सांगा को 80 घाव आए थे, लेकिन इसके बाद भी राणा सांगा ने ने युद्ध नहीं रोका।

काल बनकर टूट पड़ने वाले राणा सांगा का नाम सुनकर दुश्मन भी डर के मारे कांपते थे। महाराणा कुंभा के पोते राणा सांगा जिनका जन्म 12 अप्रैल 1482 को वैशाख कृष्ण पक्ष नवमी के दिन हुआ। राणा सांगा सिसोदिया वंश के महाराणा रायमल के सबसे छोटे पुत्र थे। राणा सांगा मेवाड़ के पहले ऐसे शासक थे, जिन्होंने दिल्ली को लक्ष्य बनाया था। उन्होंने अपने आसपास की रियासत को जीतकर अपना परचम फहराया। उनकी इन जीत का कई शिलालेखों में भी उल्लेख मिलता है। 30 जनवरी 1528 को चित्तौड़गढ़ मेें राणा सांगा को षडयंत्र के तहत जहर देकर मार दिया गया।

मेवाड़ के पराक्रमी शासक राणा सांगा अपनी शूरवीरता के लिए तो काफी प्रसिद्ध थे, लेकिन उनका एक खास गुण उनकी उदारता भी था। जिसके इतिहासकार कई प्रमाण देते हैं। इतिहासकारों का कहना है कि जब राणा सांगा और महमूद खिलजी के बीच युद्ध हुआ, तो राणा सांगा ने महमूद खिलजी को हराने के बाद भी अपनी उदारता का परिचय दिया और मालवा का आधा राज्य देकर विदा कर दिया। इसका उल्लेख डाॅ. गौरी शंकर ओझल की ‘वीर शिरोमणि महाराणा सांगा’ की एक पुस्तक में किया गया है। इसी तरह राणा सांगा ने मांडू के सुल्तान को भी 3 महीने तक कैद करने के बाद रिहा कर दिया। राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में महाराणा सांगा को उदार शासक के रूप में भी जाना जाता है।

राजस्थान के इतिहास में महाराणा सांगा की कई शूरवीरता के उदाहरण भरे पड़े हैं। इतिहासकार बताते हैं कि महाराणा सांगा जब भी युद्ध करने के लिए जाते थे, तो वहां विजय मिलने के बाद सबूत के तौर पर शत्रुओं का तंबू उखाड़ कर अपने साथ ले आते थे। इतिहासकार बताते हैं कि 1527 में राणा सांगा ने बयाना की लड़ाई में कमल खान लोधी के सैन्य शिविर पर आक्रमण किया और लोधी के तंबू को उखाड़ कर अपने साथ ले आए थे।

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