सपा ने चुनाव के बीच प्रदेश अध्यक्ष बदला, 8 साल बाद नरेश उत्तम की जगह श्यामलाल पाल को जिम्मेदारी
लखनऊ, लोकसभा चुनाव के 2 चरण के बाद समाजवादी पार्टी ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है। नरेश उत्तम पटेल की जगह श्यामलाल पाल को नियुक्त किया है। नरेश फतेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। अखिलेश यादव का यह फैसला पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक यानी PDA फार्मूले के तहत देखा जा रहा है।
श्याम लाल पाल प्रयागराज के रहने वाले हैं। पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इससे पहले महासचिव रहे हैं। गैर- यादव OBC के पाल समुदाय से हैं। जबकि नरेश उत्तम ओबीसी के कुर्मी समुदाय से थे। श्यामलाल 2007 से सपा से जुड़े हैं। वह मोहिउद्दीनपुर गांव के रहने वाले हैं। इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हैं। अपना दल के टिकट पर प्रतापपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए।
सपा ने 8 साल बाद प्रदेश अध्यक्ष बदला है। साल 2017 में जब अखिलेश और चाचा शिवपाल के बीच विवाद हुआ तो अखिलेश ने शिवपाल को अध्यक्ष पद से हटाकर नरेश को कुर्सी सौंपी थी। यूपी में करीब 52% ओबीसी वोट बैंक हैं। यह अखिलेश का बड़ा प्रयोग माना जा रहा है।
क्यों बदला गया प्रदेश अध्यक्ष
- पश्चिम यूपी में 2 फेज में चुनाव हो चुका है। श्यामलाल पाल प्रयागराज के रहने वाले हैं। पूर्वांचल से जुड़ी कुछ सीटों पर उनका प्रभाव है।
- श्यामलाल जिस पाल समुदाय से हैं। पूर्वांचल की 10 से 12 सीटों पर पाल जाति का वोट बैंक 3 से 5% के बीच है।
- अखिलेश ने अब तक परिवार के अलावा किसी यादव प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। इसलिए, वह ओबीसी की दूसरी जातियों पर फोकस कर रहे हैं।
श्याम लाल के सोशल मीडिया X पर 1300 जबकि नरेश पाल उत्तम के 2.70 लाख फॉलोअर हैं। वहीं, शिवपाल यादव के 12 लाख फॉलोअर रहे हैं।
बसपा ने भी पाल समदुाय से बनाया था प्रदेश अध्यक्ष
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पाल समुदाय बसपा का वोट बैंक माना जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले मायावती ने भीम राजभर की जगह विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। अखिलेश का श्याम पाल को अध्यक्ष बनाने का फैसला बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी माना जा रहा है।
पूर्वांचल के अलावा, बुंदेलखंड और रुहेलखंड में भी पाल जाति का असर है। पाल जाति OBC की अति पिछड़ी जातियों में है, जिसे गड़रिया और बघेल जातियों के नाम से जाना जाता है। यह वोट बैंक बदायूं से लेकर बरेली, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, हाथरस जैसे जिलों में भी अच्छी-खासी तादाद में है।