सुल्तानपुर : पेशकार ने ली घूस-SDM जयसिंहपुर हुए सस्पेंड
सुल्तानपुर में जयसिंहपुर एसडीएम निलंबित किए गए। एंटी करपशन टीम ने उनके पेशकार को घूस लेते गिरफ्तार किया था। जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर शासन ने एसडीएम को दोषी माना है। उधर चार माह पूर्व बल्दीराय में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में घोटाला हुआ। तीन अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में समाज कल्याण अधिकारी अमित सिंह दोषी पाए गए। उन्हें कार्रवाई से अबतक शासन ने दूर रखा। जिसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
बीते 2 दिसंबर को अयोध्या एंटी करप्शन टीम ने 5 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए जयसिंहपुर एसडीएम के पेशकार समरजीत पाल को गिरफ्तार किया था। गोसाईंगंज थाने में केस दर्ज हुआ था। दरअस्ल मोतिगरपुर के पारस पट्टी निवासी मोहर्रम अली ने 24 नवंबर को अयोध्या एंटी करप्शन कार्यालय में शिकायत की थी। शिकायत में बताया गया था कि उनके पिता की जमीन पर उनके चाचा अल्लादीन कब्जा कर निर्माण करवा रहे हैं।
22 नवंबर को मोहर्रम अली के पिता ने एसडीएम जयसिंहपुर को सरकारी बंटवारे और स्थगन आदेश के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। लेकिन पेशकार समरजीत ने इसके बदले 25 हजार रुपये की मांग की। पहले पांच हजार तुरंत देने और बाकी पैसे बाद में देने की बात हुई। 28 नवंबर को मोहर्रम अली ने एंटी करप्शन टीम को रिश्वतखोरी की सूचना दी। 29 नवंबर को जांच में आरोप सही पाए गए। इसके बाद एंटी करप्शन टीम ने 2 दिसंबर को जाल बिछाकर पेशकार को गिरफ्तार कर लिया।
पेशकार को पहले ही निलंबित किया गया। शुक्रवार को एसडीएम संतोष कुमार ओझा पर भी गाज गिरी। उन्हें जिला मुख्यालय से अटैच किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से जानकारी दी गई तहसील जयसिंहपुर के उपजिलाधिकारी पर शासन द्वारा की गई कार्रवाई का कारण अपने अधीनस्थों पर शिथिल प्रशासनिक नियंत्रण व पर्यवेक्षण रहा है।
बता दें कि बीते 10 अगस्त को बल्दीराय के महुली में शादी घोटाला प्रकाश में आया। जहां दस शादी शुदा महिलाओं को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ दिया गया। इस मामले में डीएम के निर्देश पर सेक्रेट्री राहुल यादव, एडीओ समाज कल्याण अभिषेक गिरि और बल्दीराय ब्लॉक के वरिष्ठ लिपिक संदीप मिश्रा को निलंबित कर दिया गया।
इन सभी के खिलाफ बल्दीराय थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई, जिसमें महिला दलाल कंचन का नाम भी शामिल था। हालांकि, सेक्रेट्री को निर्दोष पाए जाने के बाद बहाल कर दिया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्राम पंचायत में इतनी बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त होने पर जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय ने विशेष सावधानी नहीं बरती, जिससे कार्यालय की लापरवाही स्पष्ट होती है। जांच में बल्दीराय के तत्कालीन खंड विकास अधिकारी और सहायक विकास अधिकारी समाज कल्याण की लापरवाही भी सामने आई है। रिपोर्ट में समाज कल्याण अधिकारी और उनके स्टॉफ को सबसे अधिक दोषी ठहराया गया।