यूपी : कोरोना जैसे HMPV वायरस का पहला केस मिला
कोरोना जैसे वायरस HMPV का यूपी में पहला केस मिला है। लखनऊ में 60 साल की महिला पॉजिटिव पाई गई है। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील चौधरी ने दैनिक भास्कर से इसकी पुष्टि की।
बुधवार को महिला मरीज को KGMU में भर्ती कराया गया। महिला को बुखार था और सांस फूल रही थी। डॉक्टरों ने प्राइमरी इलाज के बाद महिला को बलरामपुर हॉस्पिटल रेफर किया था।
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील चौधरी ने बताया- महिला आशा को बुधवार रात 11 बजे भर्ती कराया गया। स्वैब जांच के लिए एक निजी हॉस्पिटल को भेजे गए। उसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
महिला की ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में अब तक जानकारी नहीं मिल पाई है। देश में HMPV वायरस का यह 9वां केस है। इससे पहले, कर्नाटक, नागपुर और तमिलनाडु में 2-2, पश्चिम बंगाल और गुजरात में एक-एक मिले थे।
केंद्र ने राज्यों को ‘इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस’ और ‘सीवर एक्यूट रेस्परेट्री इश्यूज’ जैसी सांस की बीमारियों की निगरानी बढ़ाने और HMPV के बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह दी है और एडवाइजरी भी जारी की है।
सीएम योगी ने भी दो दिन पहले HMPV वायरस को लेकर बैठक की थी। उन्होंने कहा- HMPV हो या मौसमी बीमारियां इनसे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट रहे।
HMPV वायरस से संक्रमित होने पर मरीजों में सर्दी और कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर देखा जा रहा है। इनमें 2 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
चीन में HMPV के बढ़ते मामलों के बीच इमरजेंसी जैसे हालात बनने की बात कही गई थी। हालांकि भारत सरकार ने 4 जनवरी को जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप की बैठक की थी। इसके बाद सरकार ने कहा था कि सर्दी के मौसम में फ्लू जैसी स्थिति असामान्य नहीं है। चीन के मामलों पर भी नजर रखे हुए हैं। सरकार इनसे निपटने के लिए तैयार है।
AIIMS के पूर्व डॉयरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है। वायरस आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स से नहीं किया जा सकता। उन्होंने लोगों को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और पौष्टिक भोजन करने की सलाह दी। साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने को कहा।
HMPV एक RNA वायरस है, जो आमतौर पर सर्दी जैसे लक्षण पैदा करता है। इससे खांसी या गले में घरघराहट हो सकती है। नाक बह सकती है या गले में खराश हो सकती है। इसका जोखिम ठंड के मौसम में ज्यादा होता है।