क्या आप हज पर जा रहे हैं? जानें हज के वो जरूरी अरकान
अलीगढ़: हज इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक है, जो हर मुसलमान मर्द और औरत पर जिंदगी में एक बार फर्ज है, बशर्ते कि वह इसके लिए माली, सेहत और सफर की सहूलियत रखता हो. यह मात्र एक रस्म नहीं, बल्कि एक गहरे रूहानी सफर की तरह है, जो इंसान को उसकी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य- अपने रब के करीब ले जाने के लिए होता है. हज के दौरान मुसलमान अपने दुनियावी रिश्तों, ओहदे, जात-पात और दौलत से ऊपर उठकर, एक जैसे लिबास (एहराम) में, एक समान मकसद के साथ जमा होते हैं- सिर्फ़ अल्लाह की रजा और माफी की उम्मीद में
हज ट्रेनर मोहम्मद शमशाद खान बताते हैं कि हज की सही अदायगी के लिए कुछ खास अरकान (फर्ज़ काम) होते हैं. इन अरकान को सही तरीके से अदा करना हर हाजी पर लाजिमी है. यदि इनमें से कोई एक भी छूट जाए, तो हज मुकम्मल नहीं माना जाता, बल्कि अधूरा रह जाता है.
हज के लिए जरूरी अरकान
1. एहराम बांधना
हज की शुरुआत की निशानी और नियत का संकेत है. एहराम बांधना हर हाजी के लिए जरूरी है, ताकि वह हज के लिए तैयार हो सके
2. अरफ़ात में ठहरना
9 ज़िलहिज्जा को ज़ुहर से लेकर मगरिब तक अरफ़ात में ठहरना हज का सबसे अहम हिस्सा है. इसके बिना हज को अधूरा माना जाता है.
3. तवाफ़े जियारा
काबा शरीफ का तवाफ करना, जो 10 जिलहिज्जा से लेकर 12 या 13 ज़िलहिज्जा तक किया जा सकता है. यह भी हज का एक अहम हिस्सा है.
4. सई
हज के दौरान हजरत हाजरा (अ.स) की सुन्नत की याद में सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच दौड़ना होता है.
इसके अलावा, जमरात को कंकर मारना, कुर्बानी करना, और सिर मुंडवाना या बाल कटवाना भी हज के जरूरी हिस्से हैं, लेकिन ये कुछ हद तक वाजिबात या सुन्नत में आते हैं.
मोहम्मद शमशाद खान का कहना है कि इन अरकान की सही अदायगी का तरीका और वक्त जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक छोटी सी गलती भी हज की मुकम्मलियत पर असर डाल सकती है. हाजी को चाहिए कि वह हज की तैयारी से पहले इन अरकान और मनासिक की सही जानकारी प्राप्त करें, ताकि उनका हज न सिर्फ़ पूरी तरह से मुकम्मल हो, बल्कि अल्लाह के यहां कबूल भी हो जाए.