गेहूं की फसल में कीटनाशक डालते समय भूलकर भी न करें ये गलती, वरना बाली में नहीं पड़ेगा दाना
गेहूं का पौधा अधिक खरपतवार नाशक के असर को झेल तो जाता है, लेकिन वह बांझ हो जाता है. यानी उसमें बाली तो आती है, लेकिन दाना नहीं बन पाता है. इससे उत्पादन घटता है और किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व प्रोफेसर डॉक्टर आई. के कुशवाहा ने Media को बताया कि किसान गेहूं की बुवाई के 35 दिन के बाद और 45 दिन से पहले खरपतवार नाशक का इस्तेमाल कर लें. उन्होंने कहा कि बुवाई के 40-45 दिन के बाद खरपतवार नाशक दवाओं का इस्तेमाल करने से गेहूं के पौधे से बालियां टेढ़ी मेढी निकलने की बीमारी हो सकती है. जबकि, बालियों से बालियां भी निकलनी शुरू हो सकती हैं.
प्रोफेसर डॉक्टर आई. के कुशवाहा का कहना है कि 55 से 60 दिन पर अगर खरपतवार नाशक दवाओं के स्प्रे करेंगे तो बालियों में दाने ही नहीं पड़ेंगे, बालियां बांझ रह जाएंगी.
अगर गेहूं की बुआई के 55-60 दिन में पौधे से बाली निकलने लगती हैं. जो किसान भाई खरपतवारनाशी अधिकतर पहली सिंचाई के बाद करते हैं.
किसानों के सामने कुछ ऐसी परिस्थिति आ जाती है, एक बार किसान ने खरपतवारनाशी का प्रयोग किया लेकिन खरपतवार मरा नहीं. किसान फिर दूसरी दवा डालने का प्रयास करता है. लेकिन अगर 50 से 55 दिन में किसी भी किसान भाई ने अपनी फसल में खरपतवार का इस्तेमाल किया है, तो इससे खरपतवार रसायन के कारण निकलने वाली गेहूं की बाली में मोर फॉर्मेशन हो जाता है. जिससे फली विभिन्न आकार की निकलेगी, फली में दाने कम बनेंगे, पूरी बाली नहीं निकल पाती है.
यह स्थिति किसान के सामने पैदा होती है. जब किसान भाई को खरपतवारनाशी रसायन का इस्तेमाल करना है वह 30-35 दिन के अंदर ही कर लें. बाद में न करें.