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सांसद बर्क को हाईकोर्ट से झटका, FIR रद्द नहीं होगी, गिरफ्तारी पर रोक लगाई

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संभल हिंसा में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि संभल हिंसा की जांच जारी रहेगी। जांच में सांसद पुलिस का सहयोग करें। हालांकि, कोर्ट ने सांसद बर्क की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। अगले दिन पुलिस ने बर्क पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज की थी। बर्क के साथ ही स्थानीय सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे को भी आरोपी बनाया था।

FIR के बाद बर्क ने 18 दिसंबर को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें FIR रद्द करने के साथ ही गिरफ्तारी पर रोक की मांग की। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 7 साल से कम की सजा वाली धाराएं होने के चलते गिरफ्तारी पर फौरी रोक लगा दी।

शासकीय अधिवक्ता एके संड ने बताया-बर्क की ओर से दो याचिकाएं दायर की गई थीं। पहली याचिका में कहा गया था कि एक ही अपराध के लिए कई एफआईआर दर्ज की गई हैं, जो गलत है। दूसरी में यह तर्क दिया गया कि घटना के वक्त वे जिले में मौजूद नहीं थे। उन्हें रंजिशन फंसाया गया। बर्क पर ऐसी धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें अधिकतम सजा 7 साल से कम है। ऐसे में अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।

अब सांसद बर्क को जांच में विवेचना अधिकारी का सहयोग करना होगा। अगर वे नहीं करते हैं, तो विवेचना अधिकारी उन्हें गिरफ्तार कर सकता है। हमने कोर्ट में तर्क दिया कि आप जनप्रतिनिधि हैं, जो कानून बनाते हैं। अगर आप ही कानून तोड़ेंगे, तो व्यवस्था कैसे चलेगी?

यह घटना, जिसमें सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान हुआ। कई पुलिस अधिकारी ईंट-पत्थरों और गोलियों से घायल हुए। अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाना चाहें, तो जा सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा करेंगे।

संभल हिंसा के बाद सब इंस्पेक्टर दीपक राठी की ओर से कोतवाली में FIR दर्ज कराई गई। इसमें जियाउर्रहमान बर्क और विधायक के बेटे सुहैल इकबाल को नामजद करते हुए 700-800 अज्ञात भीड़ को शामिल किया। कहा गया कि 19 नवंबर को सिविल कोर्ट के आदेश पर गठित की गई टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची।

कड़ी सुरक्षा के बीच सर्वे शुरू हुआ। सर्वे के अगले दिन यानी 20 नवंबर को जुमा था। सांसद बर्क भी जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे। नमाज के बाद बर्क ने सर्वे को रोकने के लिए भीड़ को भड़काऊ भाषण दिया। सियासी लाभ के लिए आपत्तिजनक नारे लगाए, जिससे भीड़ सर्वे के खिलाफ भड़कने लगी।

24 नवंबर रविवार को जब सर्वे टीम दोबारा पहुंची। मैं वहां सुरक्षा व्यवस्था ड्यूटी में तैनात था। सुबह करीब 9 बजे अचानक से 700-800 लोगों की भीड़ सर्वे रुकवाने की नीयत से आ गई। इस भीड़ में सुहैल इकबाल पुत्र इकबाल महमूद भी शामिल थे।

सुहैल इकबाल ने भीड़ से कहा कि सांसद बर्क भी हमारे साथ हैं। हम भी आपके साथ हैं। अपने मंसूबों को पूरा कर लो। सुहैल के इतना कहते ही भीड़ ने पुलिस पर पत्थर और गोली चलाना शुरू कर दीं। इसी बीच एक उपद्रवी ने सीओ संभल काे गोली मार दी, जो उनके पैर में लगी…।

ये FIR BNS की धारा 191(2), 191(3), 190. 221,132,125,324(5),196,323(b) और सार्वजनिक संपत्ति को छति पहुंचाने की धारा-3 और 5 के अतिरिक्त 326 (f) के तहत दर्ज की गई। संभल हिंसा के बाद सांसद बर्क बीते 30 दिसंबर को पहली बार पहुंचे। उनके साथ सपा का 11 सदस्यीय डेलिगेशन भी था। 24 नवंबर को हुई हिंसा में मारे गए 4 लोगों के परिवार से सपा नेताओं ने मुलाकात की। उन्हें 5-5 लाख रुपए के चेक दिए।

सांसद बर्क ने कहा- जो घटना हुई है, उससे केवल संभल ही नहीं, बल्कि पूरा प्रदेश और देश शर्मसार हुआ। यह सच है कि संभल अति संवेदनशील जगह रही है। यहां पहले जरूर आपस में लोगों के झगड़े थे। लेकिन यह भी सच है कि 29 सालों से यहां हिंदू और मुस्लिम के बीच कोई फसाद नहीं हुआ है। लोग सुकून से रह रहे थे। आग लगाई गई।

हम लोगों के सुकून को छीना गया। हमारे लोगों की जान ली गई। हमारे खिलाफ ही मुकदमा लिखा गया। बिजली चोरी के मुकदमे पर कहा कि अगर कल पुलिस का डंडा गायब हो जाए तो वह हम पर ही आरोप लगा देगी। हम लोगों न्याय नहीं मिलेगा तो न्यायालय जाएंगे। मेरे ऊपर क्यों मुकदमा लिख दिया, जबकि मैं उस दिन संभल में ही नहीं था।

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