पशु वन्य जीव दिवस विशेष : पशु-पक्षियों को बचाने में दिन रात जुटे दो भाई-बहन
पावटा (राजेश कुमार हाडिया)। कहते है कि सेवा करने में ना तो उम्र मायने रखती एवं ना ही डिग्री मायने रखती। पशु- पक्षियों की सेवा के लिए पशु चिकित्सक होना जरूरी नहीं होता। क्योंकि जिसके अन्दर यदि पशु-पक्षियों की सेवा भावना पैदा हो जाये तो फिर वो सेवा करेगा ही। पशु वन्य जीव दिवस के मौके पर ऐसे दो भाई बहन के बारे में बताते है जो पशु चिकित्सक नहीं है फिर भी घायल पशु-पक्षियों की रक्षा करने में जुटे रहते है।
पावटा के ग्राम भांकरी निवासी मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा, जिन्हें कोई घायल बीमार पशु-पक्षी दिखता है तो ये अपने सभी कार्य छोड़कर उसकी सेवा में जुट जाते है। इन दोनों भाई-बहन का एक ही लक्ष्य है कि हरसंभव प्रयास करके घायल पशु-पक्षियों एवं वन्य जीवों को बचाया जायें, ताकि आने वाली पीढियां इन पशु-पक्षियों वन्य जीवों को देख सके। मोहित व दिव्या का कहना है कि हमें इन वन्य जीवों को जंगलो में संरक्षित करना है ना की फोटो में। अब तक इन्होंने बानसूर एवं शाहपुरा क्षेत्र में एक जरख की भी जान बचाई है। जहाँ कोरोना काल में लोग अपने घरो में बन्द थे। उस समय दिव्या व मोहित घायल पशु-पक्षियों के उपचार के साथ-साथ अनेक जीवों के लिए खाने पीने की व्यवस्था में जुटे हुये थे। बाजरे की फसल कटाई के समय नीलगाय के ब्याते समय होता है जिस पर कुत्ते हमला करके घायल कर देते है तो उनकी मॉ (नीलगाय) उन बच्चों को छोड़कर भाग जाती है तो ऐसी स्थिति में ये उन बच्चों का उपचार करवाने के साथ उनका पालन पोषण करते है।
मोहित व दिव्या ने नीलगाय के बच्चों को निप्पल एवं बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण कर उन्हे जंगल में छोड़ा। दिव्या ने कहा कि इन विलुप्त होती वन्य जीवों की प्रजाति को हमें बचाना चाहिये, ये बचेगे तभी हमारी प्रकृति बचेगी। मोहित एवं दिव्या ने 10 अक्टूबर 2019 से अब तक 871 नीलगाय, 403 मोर, 2513 गाय, 51 बन्दर, 23 लंगूर, 02 जरख, 01 बाज, 01 गीदड़ सहित सैकड़ों छोटे परिन्दों की जान बचाई है। इसके अलावा ये दोनों भाई-बहन प्रकृति जीवित रखने के लिए हर साल वर्षा ऋतु में वृक्षारोपण भी करते है। इसके अलावा हर साल गर्मी के समय में पावटा, विराटनगर एवं शाहपुरा क्षेत्र में पक्षियों के दाने पानी के लिए पेड़ों पर परिण्डे बांधते है। इस कार्य में मोहित व दिव्या के पिता डॉ. गौरीशंकर शर्मा का पूरा योगदान रहता है।