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 बिहार गजबे घोटाला है! : अब NH की जगह SH पर बना दिया ओवरब्रिज, जानें माजरा

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रोहतास:- रोहतास जिले के कोचस प्रखंड से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां ओवरब्रिज निर्माण में गंभीर लापरवाही देखने को मिली है. वाहनों के सुगम आवागमन और जाम की समस्या को दूर करने के लिए कोचस में एनएचएआइ द्वारा NH 319 पर एक ओवरब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन यह काम बेहद अजीब तरीके से हुआ. अधिकारियों की अनदेखी के चलते यह ओवरब्रिज राष्ट्रीय राजमार्ग 319 (एनएच) पर न बनकर सासाराम चौसा स्टेट हाइवे 17 (एसएच) पर बना दिया गया, जिसके कारण स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कोचस के स्थानीय निवासियों में इस बदलाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि गलत जगह ओवरब्रिज के निर्माण से शहर में जाम की समस्या और बढ़ गई है. जानकारी के अनुसार, एनएचएआइ ने कोचस में ओवरब्रिज निर्माण की स्वीकृति दी थी, लेकिन अधिकारियों के बीच कथित साठ-गांठ के कारण इसे एसएच पर बना दिया गया. लोग अब इसे अधिकारियों की एक बड़ी साजिश मान रहे हैं.

जाम और यातायात की समस्या
ओवरब्रिज के निर्माण के बाद शहर में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. हर रोज घंटों जाम लगने से यात्री, मरीज, स्कूली बच्चे और वाहन चालक परेशान हैं. खासकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर ओवरब्रिज के निर्माण का निर्देश था, ताकि वाहनों की निर्बाध गति से आवाजाही हो सके. लेकिन एसएच पर बनने के कारण कोचस की जीवनदायिनी सड़क पर भारी दबाव पड़ा है. निर्माण के दौरान स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन अधिकारियों ने उनकी अनदेखी की और अब इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं.

अधिकारियों की साजिश और सड़क निर्माण कंपनी की भूमिका
इस बदलाव के पीछे अधिकारियों के पत्राचारों से एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. स्थानीय लोगों का मानना है कि एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मिलीभगत ने इस परियोजना को गलत दिशा में मोड़ दिया. इसके अलावा, सड़क निर्माण कंपनी ने अपनी त्वरित प्रक्रिया के तहत परियोजना को पूरा किया.

किसानों की अधिग्रहित भूमि का मुद्दा
लोगों ने बताया कि 1970 के पूर्व यह पीडब्ल्यूडी की सड़क थी, जहां इसकी चौड़ाई कहीं 70, तो कहीं 80 फुट थी. केंद्र सरकार ने इसे 1980 में एनएच 30 में तब्दील कर दिया. इसी तरह साल 2012 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 319 का दर्जा देते हुए मोहनिया से आरा तक फोरलेन निर्माण के लिए सड़क के दोनों ओर 75-75 फुट भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ किया गया था. इस दौरान अन्य जगहों पर अधिग्रहित भूमि का मुआवजा भुगतान कर दिया गया, लेकिन कोचस के किसानों  को अधिग्रहित जमीन का भुगतान नहीं किया गया. इससे बौखलाए किसानों ने एनएच फोरलेन निर्माण के दौरान अधिग्रहण की गई भूमि पर सड़क निर्माण करने पर रोक लगा दी.

भूमि की सही कीमत देने से कर रहा था इनकार
उन्होंने बताया कि किसानों की अधिग्रहित भूमि की वर्तमान कीमत 1800 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जिसे एनएचएआई देने से इनकार कर रहा था. ऐसी स्थिति में निर्माण को लेकर सड़क निर्माण कंपनी के सामने समस्या उत्पन्न हो गई. स्थानीय बाजार में सड़क निर्माण व ओवरब्रिज निर्माण कार्य में पेंच फंसते देख एनएचएआई और सड़क निर्माण एजेंसी अशोका बिल्डकॉन कंपनी के अधिकारियों ने पीडब्ल्यूडी से संपर्क किया, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी. तब उन्होंने कथित तौर पर कंपनी में करोड़ों रुपये की मेटल की सप्लाई करनेवाले एक विधायक की मदद से इस ओवरब्रिज का निर्माण NH की जगह SH पर करा दिया, जिसमे निर्माण की अनुमति प्रदान करने का जिक्र पीडब्ल्यूडी के कार्यालय पत्रांक 820/9 अगस्त 2022 में है. 

नगर पैक्स अध्यक्ष सुनील दूबे ने कहा कि गलत दिशा में पुल का निर्माण होने से बक्सर रोड के सैकड़ों दुकानदारों का व्यापार चौपट हो गया है. निर्माण के दौरान हमने विरोध किया था, लेकिन अधिकारियों ने हमारी नहीं सुनी. वहीं एक अन्य स्थानीय निवासी अरविंद ओझा ने बताया कि एनएच-319 के स्थान पर एसएच-17 पर ओवरब्रिज का निर्माण शहर के विकास को पूरी तरह प्रभावित कर रहा है. पीडब्ल्यूडी कोचस के कार्यपालक अभियंता एसएन सिंह ने कहा कि कोचस में एनएच-319 की जगह एसएच-17 पर ओवरब्रिज के निर्माण की परिस्थितियां जांच का विषय हैं और इस मामले की नई सिरे से जांच की जाएगी.

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