अलीगढ़ : जज को हथियारबंद बदमाशों ने घेरा, पुलिस चौकी पर रुककर बचाई जान
कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज को अलीगढ़ में हाईवे पर बदमाशों ने घेर लिया। असलहों से लैस बोलेरो सवार 5 बदमाशों ने जज की कार रोकने की कोशिश की। फर्रुखाबाद में विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार का बदमाशों ने काफी दूर तक पीछा किया।
जज अनिल कुमार ने बचकर निकलने की कोशिश की तो बदमाशों ने कई बार असलहा दिखाकर उन्हें धमकी दी। इसी बीच, जज ने अलीगढ़ की सोफा पुलिस चौकी पर रुक कर खुद को बचाया। पुलिस देखकर बदमाश वहां से भाग गए। घटना 29 अक्टूबर की शाम 8 बजे के आसपास की है।
जज ने 30 अक्टूबर को खैर थाने में घटना की एप्लीकेशन दी। पुलिस ने जांच के बाद 9 नवंबर को FIR दर्ज की। इसके बाद पूरा मामला सामने आया है।
सुंदर भाटी हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 23 अक्टूबर को सोनभद्र जेल से रिहा हुआ। इसके 6 दिन बाद 29 अक्टूबर को जज का पीछा किए जाने की घटना हुई।
FIR के मुताबिक, जज ने घटना की साजिश में सुंदर भाटी गैंग के शामिल होने का अंदेशा जताया है। वारदात 29 अक्टूबर की शाम 8 बजे की है। वह फर्रुखाबाद से नोएडा स्थित अपने घर जा रहे थे। खैर को पार कर यमुना एक्सप्रेस-वे पर जाने के लिए जट्टारी की ओर गए, इसी बीच सफेद रंग की बोलेरो UP 81-7882 सवार बदमाशों ने उनका पीछा शुरू कर दिया।
बदमाशों ने अपनी गाड़ी सड़क पर खड़ी कर दी। वह किसी तरह से बचकर निकल गए। इसके बाद कई बार उनकी कार रोकने की कोशिश की। FIR के मुताबिक, कार सवार बदमाश गाली-गलौज कर रहे थे। कार रोकने के लिए असलहे तान रहे थे। सोफा पुलिस चौकी तक बदमाशों ने पीछा किया। उन्होंने अपनी गाड़ी सोफा पुलिस चौकी के सामने रोकी तो पीछा कर रहे बदमाश भाग गए।
जज ने इस मामले में चौकी इंचार्ज सोफा और SSP के PRO को सूचना दी। फोन पर खैर थाना प्रभारी निरीक्षक डीके सिसोदिया को भी सूचना दी। फोन पर खैर थाना प्रभारी निरीक्षक डीके सिसोदिया को भी सूचना दी। 9 नवंबर को पुलिस ने 5 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ खैर थाने में मुकदमा दर्ज किया है।
जज ने FIR में लिखा कि सुंदर भाटी और उसकी गैंग के सदस्यों पर पहले कभी दोष सिद्ध नहीं हुए थे। जिला कोर्ट गौतमबुद्ध नगर में अपर सत्र न्यायाधीश के पद पर तैनाती के दौरान मैंने पहली बार मैंने 5 अप्रैल 2021 को सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके गनर की हत्या के मामले में सुंदर भाटी और उसकी गैंग के 10 अन्य सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हो सकता है कि सजा का बदला लेने के लिए ही हमले की साजिश रची गई हो।
इस मामले में SSP संजीव सुमन ने कहा- जज ने घटना वाली रात में सूचना दी थी। उस वक्त सिर्फ अंदेशा जताया था कि कुछ लोगों ने गाड़ी रोकने की कोशिश की। उस समय तहरीर नहीं दी थी। अब उन्होंने तहरीर दी है। इसमें हमले का अंदेशा जताया है। बोलेरो का नंबर भी अधूरा है, जिसकी वजह से वह ट्रेस नहीं हो पा रही है।
सुंदर भाटी ग्रेटर नोएडा के घघौला गांव का रहने वाला है। सुंदर भाटी पर 60 से अधिक मामले दर्ज हैं। भाटी को पश्चिमी यूपी का छोटा शकील कहा जाता है। सुंदर पहले स्क्रैप कारोबारी था। गाजियाबाद में कई लोहा फैक्ट्री थीं। ट्रकों से सरिया चोरी करवाकर बाजार में सस्ते दामों पर बेचता था। धीरे-धीरे फैक्ट्रियों के स्क्रैप बिक्री कारोबार पर भी कब्जा कर लिया और कबाड़ के धंधे का माफिया बन गया।
सुंदर की मुलाकात 1990 में सतबीर गुर्जर के गैंग के जरिए ग्रेटर नोएडा के रिठोरी गांव के नरेश भाटी से हुई। नरेश पढ़े-लिखे परिवार से था। प्रॉपर्टी विवाद में नरेश के परिवार की हत्या हो चुकी थी। उसके सिर पर अपनों की हत्या का बदला लेने का खून सवार था। एक दिन नरेश की मुलाकात गाजियाबाद के लोनी एरिया के नामी बदमाश सतबीर गुर्जर से हुई। इसी गिरोह में सुंदर भाटी भी था।
नरेश और सुंदर भाटी जल्द ही अच्छे दोस्त बन गए। दिल्ली सहित पश्चिमी यूपी में दोनों ने मिलकर हत्या, लूट और रंगदारी जैसी घटनाएं कीं। हालांकि, बाद में दोनों की दुश्मनी हो गई। सुंदर भाटी सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था। ऐसी ही मंशा नरेश भाटी की थी। नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहता था। जबकि सुंदर भाटी ने खुद चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद दोनों के बीच गैंगवार शुरू हो गई।
नरेश-सुंदर के बीच पहली गैंगवार 2003 में हुई। जब नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष बन चुका था। 2003 में सुंदर भाटी ने मेरठ में नरेश भाटी पर हमला बोल दिया। हमले में नरेश का गनर और ड्राइवर मारे गए, जबकि खुद नरेश वहां से बचकर भाग निकला। मार्च 2004 में एक बार फिर सुंदर ने घघौला पुलिया के पास नरेश को घेरकर गोलियों से भून दिया। मौके पर ही नरेश भाटी की मौत हो गई। साथ में उसके दो और साथी भी मारे गए।
2004 में नरेश का मर्डर होते ही उसके भाई रणपाल भाटी ने गैंग की कमान संभाल ली। सबसे पहले रणपाल ने सुंदर भाटी के भाई प्रताप पटवारी सहित तीन लोगों की हत्या कर अपने भाई की मौत का बदला लिया। 2006 में पुलिस ने रणपाल का एनकाउंटर कर दिया। रणपाल के एनकाउंटर के बाद नरेश का सबसे छोटा भाई रणदीप गैंग को संभालने लगा। वहीं उसका साथ देने के लिए नरेश का भांजा अमित कसाना भी गैंग में ही शामिल हो गया। शॉर्प शूटर अनिल दुजाना भी गैंग में शामिल हो गया। गैंगवार में एक-दूसरे गैंग ने 50 से अधिक बदमाश मारे जा चुके हैं।