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महाकुंभ में मोरारी बापू की श्रीराम कथा प्रारंभ, 18-26 जनवरी तक चलेगा कार्यक्रम

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महाकुंभ की पवित्र धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, प्रयागराज में विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रसंत पूज्य श्री महाकुंभ की पवित्र धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर में पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से श्रीराम कथा हो रही हैं। यह आयोजन परमार्थ निकेतन शिविर और सतुआ बाबा आश्रम के संयुक्त देखरेख में किया गया।

श्रीराम कथा के प्रारंभ से पहले, पूजा अर्चना के साथ शंख ध्वनि, वेद मंत्रोच्चारण और पुष्पवर्षा के साथ पूज्य मोरारी बापू जी का परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में दिव्य अभिनन्दन किया गया।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सतुआ बाबा जी ने पूज्य संतों का अभिनन्दन किया। गुरशरणानन्द जी महाराज ने कहा कि सारे बंधन प्रभु समर्पण में समाप्त हो जाते हैं। श्रीराम कथा से अमृत के सारें घट खुल जाते हैं। अमृत को प्राप्त करने के लिये हमें अभिमुख होना होगा।

मोरारी बापू ने कहा- श्रीराम कथा केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने की कला है। श्रीराम कथा, जीवन में जो निष्कलंक सत्य और धर्म की राह है, उसका संदेश देती है और यही जीवन का शाश्वत मार्ग है। श्रीराम का जीवन संघर्ष से परे एक शांति, संतुलन और आस्था का प्रतीक है। भगवान श्रीराम, केवल एक राजा या नायक नहीं थे, बल्कि उनके जीवन के प्रत्येक पहलू से हमें जीवन की सच्चाई और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। महाकुम्भ से आप सभी इस दिव्य प्रेरणा को महाकुम्भ के प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें, यही श्रीराम कथा की सार्थकता हैं।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा- श्रीराम कथा, महाकुंभ जैसे पवित्र स्थान पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से श्रवण करना हमारे जीवन के उद्देश्य और भगवान श्री राम के आदर्शों को समझने का सर्वोत्तम मार्ग है। यह कथा हमें धर्म, कर्म और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती है। महाकुंभ, केवल एक धार्मिक मेला नहीं है, यह आत्मा की शुद्धि, तात्त्विकता और साधना का स्थल है। संगम का तट और इस तट पर महापुरूषों का संगम धन्य है। सनातन का संदेश यही है कि अगर कहीं संग्राम होता भी है, परन्तु संगम बचा रहे। स्वामी जी ने कहा- आज का क्षण अत्यंत पावन, पवित्र और दिव्य है। हम सब बहुत भाग्यशाली है कि हमें इस आध्यात्मिक गौरवमयी गाथा श्रीराम कथा को श्रवण करने का अवसर का प्राप्त हो रहा है। संगम के तट पर पूज्य संतों का संगम केवल भारत का नहीं पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान है।

स्वामी अवधेशानंद ने भी श्रीराम के आदर्शों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीराम ने सत्य, कर्तव्यनिष्ठा, धर्मपरायणता का जो मार्ग दिखाया है, वह मार्ग वर्तमान समय में भी हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और शांति दिलाने वाला है। भारतीय संस्कृति सभी के कल्याण की संस्कृति है।

गीता मनीषी ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा- कुम्भ भारत का स्वाभिमान है, राष्ट्र का गौरव है। यहां पर केवल स्नान का अमृत नहीं बल्कि कथा का अमृत, पूज्य संतों के दर्शन का अमृत प्राप्त हो रहा है। पूज्य बापू के श्रीमुख से जो कथा का अमृत मिल रहा है वह अद्भुत है। आचार्य श्री रमेश भाई ओझा जी (पूज्य भाईश्री) ने कहा- आज का अवसर वास्तविक कुम्भ व त्रिवेणी स्नान का दिव्य अवसर है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि भारत, श्रीराम भगवान की दिव्य धरती है और महाकुम्भ, भारत का नहीं पूरे विश्व का दिव्य महोत्सव है। इस दिव्य महोत्सव में दिव्यता की कथा जीवन की अनमोल गाथा है। हम सभी अत्यंत भाग्यशाली है कि 144 वर्षों बाद आये इस दिव्य अवसर के हमें दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। ऐसी भक्ति, प्रेम और दिव्य संबंध केवल भारत में ही हो सकता है।

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