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रायबरेली : सर्जन ने पत्नी, बेटा, बेटी की हत्या करके सुसाइड किया, हथौड़े से सिर में किया वार

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रायबरेली, लालगंज स्थित मॉडर्न रेल कोच फैक्ट्री में तैनात डॉक्टर ने पत्नी, बेटा और बेटी की हत्या करके सुसाइड कर लिया। कोच फैक्ट्री कैंपस में बने सरकारी आवास में चारों के शव बरामद हुए हैं। डॉक्टर का शव फंदे पर लटका हुआ था। हाथ में वीगो लगी थी। जबकि पत्नी, बेटी और बेटे के शव बेड पर थे।

मंगलवार रात को वारदात का खुलासा तब हुआ जब घर का दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर गई। दरअसल, दो दिन से घर से बाहर कोई नहीं निकला था। न ही वह हॉस्पिटल गए थे। ऐसे में शक होने पर ऑफिस से मंगलवार देर शाम चपरासी उनके घर पहुंचा। उसने काफी देर दरवाजा खटखटाया। लेकिन, कोई रिस्पांस नहीं मिला।

इसके बाद उसने खिड़की से अंदर देखा तो सहम गया। कमरे में शव नजर आए। घबराकर चपरासी ने स्टॉफ और फिर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंची तो वहां नेत्र सर्जन डॉ. अरुण सिंह (45), पत्नी अर्चना, बेटी अदीवा (12) और बेटा आरव (4) के शव पड़े थे।

डॉक्टर के पूरे कपड़े खून से सने थे, पास में रखा था हथौड़ा
पुलिस के मुताबिक, चारों के शव एक ही कमरे में थे। पत्नी और बेटे का शव एक बेड पर था। जबकि बेटी का शव दूसरे बेड पर था। वहीं, डॉक्टर अरुण सिंह का शव फंदे से लटका था। पत्नी का सिर हथौड़े से बुरी तरह से कुचा गया था। उसका पूरा शरीर खून से सना था। बेटे के शव पर भी चोट के निशान थे। बेड पर पड़ी चादर पर पूरा खून फैला था। वहीं, बेटी के चेहरे पर भी हथौड़ा मारा गया था।

डॉक्टर का शव फंदे पर लटका था। उनके एक हाथ में वीगो (सीरिंज) लगी थी। हाथ में जगह-जगह कट के निशान थे। उनसे खून निकल रहा था। डॉक्टर के गले पर भी कट के निशान थे। डॉक्टर के पूरे कपड़े खून से सने थे। कमरे में बेड के पास में एक मेज थी। उस पर खून से सना हथौड़ा रखा था। आशंका है कि इसी हथौड़े से सभी की हत्या की गई। कमरे में कुछ इंजेक्शन और नशीले पदार्थ भी रखे थे।

हत्या के बाद आत्महत्या की आशंका
रायबरेली SP आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि शुरुआती जांच के आधार पर ऐसा लग रहा है कि डॉ. अरुण ने पहले पत्नी और बच्चों की हत्या की। फिर फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। कमरे में नशे की दवा और इंजेक्शन बिखरे मिले हैं। ऐसा लग रहा है कि बच्चों को नशे की कुछ चीजें खिलाकर बेहोश किया गया। फिर सिर में हमला करके हत्या की गई। बाद में डॉक्टर ने अपनी नसों को काटने की कोशिश की। सफल नहीं होने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

दो दिन से बंद था घर
पुलिस को आशंका है कि रविवार रात यह पूरी वारदात हुई है। क्योंकि, डॉक्टर और उनका परिवार दो दिन से आवास के बाहर नजर नहीं आया था। दरवाजा भी अंदर से बंद था। ऐसे में किसी बाहरी व्यक्ति के अंदर आने की शंका नहीं लग रही है। पड़ोस में रहने वाले रेल कोच कर्मी का कहना है कि उनके व्यवहार से कभी ऐसा लगा ही नहीं कि वह आत्महत्या जैसा कोई कदम भी उठा सकते हैं।

एसपी ने बताया कि डॉक्टर अरुण सिंह रेल कोच फैक्ट्री स्थित अस्पताल में बतौर आई स्पेशलिस्ट तैनात थे। प्राथमिक जांच में पता चला है कि डॉक्टर डिप्रेशन का शिकार थे। मौके पर जो साक्ष्य मिले हैं उससे लगता है कि मौत से पहले कई तरह के इंजेक्शन का प्रयोग किया गया है। डॉक्टर अरुण मूलरुप से मिर्जापुर के चुनार क्षेत्र के फरहाना गांव के रहने वाले थे, वह यहां 2017 से रह रहे थे।

एसपी ने बताया कि फॉरेंसिक टीम जांच की है। स्टाफ के लोगों से पता चला है कि डॉक्टर काफी दिनों से डिप्रेशन में थे। उनकी दवा भी चल रही थी। पत्नी और बच्चों की मौत कैसे हुई? चारों की मौतों की सही वजह पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगी। सभी एंगल पर जांच की जा रही है।

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