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एक से दूसरे में कैसे फैलता है Monkeypox? मास्‍क पहनने से होगा बचाव?

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हाल के वर्षों में दुनिया भर में कई नए-नए वायरसों का फैलाव देखने को मिला है, जिनमें से एक मंकीपॉक्स भी है. यह वायरस मध्‍य अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पहले से ही मौजूद था, लेकिन अब यह दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है. कोविड को झेल चुके भारत में इस बीमारी को लेकर भी डर पैदा हो गया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्‍या यह भी कोरोना की तरह ही फैलने वाला वायरस है? क्‍या यह कोविड की तरह ही सांस हवा के माध्‍यम से फैल सकता है? क्‍या बचाव के लिए मास्‍क और सेनिटाइजर की फिर से जरूरत पड़ सकती है? आइए स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों से जानते हैं..

 मंकीपॉक्स के कारण दुनियाभर के कई देश प्रभावित हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन और हर देश इसे लेकर सतर्क हैं. इस बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए. भारत सरकार भी इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और देशभर में अलर्ट जारी किया गया है. सभी को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है. चूंकि पहले ही भारतीय लोग कोविड जैसी भयंकर बीमारी से जूझ चुके हैं, ऐसे में इससे बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि इसे रोका जा सके.

मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन गंभीर वायरल बीमारी है, जो मानव में जानवरों से फैलती है. इस वायरस का संबंध चेचक से है, लेकिन यह चेचक की तुलना में कम घातक होता है. मंकीपॉक्स पहली बार 1958 में बंदरों में पाया गया था, जिसके बाद यह मानव में भी देखा गया. फिलहाल यह मध्‍य अफ्रीका के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से निकलकर दुनिया के 100 से ज्‍यादा देशों में पहुंच चुका है.

मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 7 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं. इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ में दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, ठंड लगना, और थकान शामिल हैं. इसके बाद चेहरे, हाथ, और शरीर के अन्य हिस्सों में दाने उभरते हैं जो बाद में फफोले का रूप ले लेते हैं.

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स वायरल जूनोसिस डिजीज है. मुख्य रूप से जानवरों से मनुष्यों में फैलता है. यह संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंचने, उनके शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है. इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है. यह हवा में मौजूद एयरोसोल से भी फैलता है, जैसे कोविड फैलता था.

. मंकीपॉक्‍स से संक्रमित व्‍यक्ति की त्‍वचा के संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है.
. मंकीपॉक्‍स के मरीज के साथ कप या बर्तन शेयर करने से भी इसका खतरा बढ़ता है.
. मरीज के बिस्‍तर, तौलिया या कपड़ों को छूने या व्‍यवस्थित करने से भी इसके होने का खतरा होता है.

ऐसे कर सकते हैं बचाव

. साफ-सफाई का ध्‍यान रखें-अपने हाथों को साबुन और पानी से नियमित रूप से धोएं. सेनिटाइजर का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

. मास्‍क और ग्‍लव्‍स पहनें- मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले व्यक्तियों से दूर रहें और यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो मास्क और ग्लव्स पहनें और फिर मरीज के पास से वापस आने के बाद उन्‍हें अच्‍छे से डिस्‍कार्ड करें.

. जानवरों से बचाव-जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें, खासकर बंदरों और चूहों जैसे जानवरों से.

. त्वचा के घावों को कवर करके रखें- अगर किसी अन्‍य वजह से भी त्‍वचा पर रैश हो रहे हैं तो भी सभी बचाव के तरीकों को अपनाएं. स्वस्थ आहार लें और भरपूर पानी पिएं.

.सोशल डिस्‍टेंसिंग भी बनाना जरूरी है. सार्वजनिक स्‍थानों पर जहां ज्‍यादा भीड़भाड़ है, वहां जानें से बचें. लोगों से हाथ न मिलाएं. हर गैरजरूरी चीज को न छूएं.

भारत में मंकीपॉक्स का असर
भारत में एक अनुमान के मुताबिक मंकीपॉक्‍स के करीब 30 संदिग्‍ध या संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं. इसी साल मार्च में भी एक मरीज मिला था. हालांकि यह संख्‍या काफी कम है लेकिन चूंकि यह वायरस से फैलने वाली बीमारी है, ऐसे में सतर्कता, समय पर पहचान और सही उपचार से मंकीपॉक्स के खतरे को कम किया जा सकता है.

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