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गोरखपुर : ढहाई गई 4 मंजिला मस्जिद: दो मीनार, छत की रेलिंग तोड़ी गई

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गोरखपुर में घोष कंपनी चौराहे के पास बनी मस्जिद की दो मीनार, ऊपर के फ्लोर का हिस्सा तोड़ दिया गया। बाकी बचे हिस्से को तोड़ने का काम रविवार को होगा। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने मस्जिद के निर्माण को अवैध बताया था। इसे गिराने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। जो 28 फरवरी को पूरा हो गया।

मस्जिद कमेटी ने शनिवार सुबह 10 बजे 15 मजदूर लगाए। दो फ्लोर गिराने का काम शुरू कराया गया। शाम 5 बजे तक तोड़ने का काम हुआ। पीछे की दो मीनार, चौथे फ्लोर की रेलिंग व छत का कुछ हिस्सा तोड़ा गया।

GDA की ओर से कहा गया था कि अगर कमेटी मस्जिद खुद नहीं तोड़ती है तो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरण ने बिना नक्शा पास कराए मस्जिद के निर्माण पर आपत्ति जताई है। मस्जिद कमेटी की ओर से पक्ष रखा गया है कि यह 20492 स्क्वायर फिट का प्लॉट है। एक समय इसके बीचों बीच में मस्जिद थी। नगर निगम ने जनवरी, 2024 में ढांचा ढहा दिया। कमेटी ने आपत्ति की। जिसके बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में सहमति बनी।

हमें प्लॉट के दक्षिणी कोने में 520 स्क्वायर फिट जमीन मिली। वहीं पर आज यह 4 मंजिला मस्जिद खड़ी है। कमेटी के मुताबिक, मस्जिद नगर निगम की सहमति से ही बनाई गई थी। मगर अब GDA मस्जिद को अवैध बता रहा है।

लोगों का कहना है- इस जमीन पर करीब 40 साल पहले अवैध कब्जे होना शुरू हुए। कई मैकेनिक अस्थाई निर्माण बनाकर गाड़ियां रिपेयरिंग का काम करने लगे। मुस्लिम कम्युनिटी के लोगों ने टीन शेड लगाकर छोटे-छोटे घर तैयार कर लिए। इसी जमीन के बीचो-बीच एक मस्जिद भी बना ली गई। चार दीवार बनाकर टीन शेड डाला गया था।

उन्होंने कहा- यह जमीन नगर निगम ऑफिस से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर 20492 स्क्वायर फिट एरिया में है। इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए है।

पुरानी मस्जिद कब टूटी? नगर निगम ने 22 जनवरी, 2024 को अपनी जमीन से अतिक्रमण हटवा दिए। सिर्फ मस्जिद ही बची। बाद में रात के वक्त उसको भी ढहा दिया गया। मस्जिद का पक्का निर्माण नहीं था, इसलिए बहुत विरोध नहीं हुआ।

मगर मुतवल्ली ने DM ऑफिस और नगर निगम के अधिकारियों से मिलकर अपनी बात जरूर रखी। कहा कि कोर्ट से मस्जिद के नाम पर डिक्री है, इसलिए उसे नहीं तोड़ना चाहिए था। इसके बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में यह मामला गया। सहमति बनी कि जमीन के एक हिस्से में मस्जिद के लिए जगह दे दी जाए।

पहली बार मस्जिद का मामला कोर्ट कब गया? दरअसल, 1967 में भी नगर निगम ने मस्जिद हटवाने का प्रयास किया था। तब मस्जिद की तरफ से लोग कोर्ट चले गए। दावा किया गया है कि मस्जिद इस जमीन पर 100 साल से है।

कोर्ट ने मस्जिद के लिए 1284 स्क्वायर फिट जमीन देने का आदेश दिया। इसमें 24×26 स्क्वायर फिट जमीन मस्जिद के लिए दी। साथ ही, 60 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ी जमीन मस्जिद के रास्ते के लिए दी थी।

नगर निगम ने कितनी जमीन मस्जिद के लिए दी? कोर्ट का यह आदेश नगर निगम की बोर्ड बैठक में रखा गया। फैसला हुआ कि जमीन के दक्षिण-पश्चिम कोने में 24×26 स्क्वायर फीट जमीन मस्जिद के लिए दी जाएगी। सड़क यहां पहले से है। नगर निगम के बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई। GDA मस्जिद को अवैध क्यों बता रहा? नगर निगम बोर्ड से प्रस्ताव पास होने के बाद मस्जिद कमेटी ने 4 मंजिला इमारत खड़ी कर ली। 15 फरवरी को GDA के अवर अभियंता ने निर्माण को रोकने के लिए कहा। नोटिस चस्पा हुआ, जिसमें मस्जिद का नक्शा पास नहीं होना बताया गया।

मगर निर्माण होते रहे। इस पर आपत्ति हुई तो ऊपर की दो मंजिल तोड़ने के लिए कहा गया। इसके बाद एक मंजिल तोड़ने पर सहमति बनी। इसी बीच हाईकोर्ट में PIL दाखिल कर दी गई। फिर मस्जिद कमेटी एक मंजिल तोड़ने से पीछे हट गई।

GDA ने मस्जिद को लेकर जो नोटिस जारी की है। उसमें इस बात का उल्लेख है कि 15 मई, 2024 को क्षेत्र के अवर अभियंता ने वहां जाकर निर्माण रोकने को कहा था। तब तक पहली मंजिल पर निर्माण चल रहा था। इस संबंध में चालान भी काटा गया।

GDA उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने बताया कि जब निर्माण शुरू हुआ तो नोटिस दिया गया था। ऑनलाइन एप के माध्यम से नोटिस दिया जाता है। उसमें निर्माण की फोटो आदि भी लगाया जाता है। उनको इसकी जानकारी दी गई थी और निर्माण रोकने का नोटिस भी दिया गया था।

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