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शाहजहांपुर : रेलवे स्टेशन पर बने पावर हाउस में टेक्नीशियन जयपाल की जिंदा जलकर मौत

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शाहजहांपुर , रेलवे स्टेशन पर बने पावर हाउस में टेक्नीशियन जयपाल की जिंदा जलकर मौत हो गई। शनिवार पूरी रात को उसका शव जलता रहा, लेकिन किसी कर्मचारी को भनक तक नहीं लगी। रविवार सुबह एक कर्मचारी मोटर का बटन ऑन करने पावर हाउस गया। उसने दरवाजे पर नॉक किया, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। इस पर उसने दूसरी तरफ जाकर खिड़की से झांका, तो अंदर शव जलता दिखा।

उस समय तक जयपाल के शव के पैर और सीने का हिस्सा जल रहा था। बाकी पूरा शरीर राख के ढेर में तब्दील हो चुका था। यह देखकर उसने रेलवे अफसरों को सूचना दी। तब जाकर दरवाजे की कुंडी तोड़ी गई। लोग अंदर गए तो वहां का नजारा और भी भयावह था।

शाहजहांपुर की रोजा रेलवे कॉलोनी में 30 साल के जयपाल रहते थे। 2015 में पिता की मौत के बाद उन्हें मृतक आश्रित कोटे से रोजा जंक्शन के रेलवे पावर हाउस में टेक्नीशियन की नौकरी मिली थी। पिछले कुछ समय से जयपाल बीमार चल रह थे। उनका दिल्ली से इलाज चल रहा था।

शनिवार को उनकी रेलवे पावर हाउस में नाइट शिफ्ट थी। रात 8 बजे वह घर से ड्यूटी पर आए। इसके बाद घरवालों की जयपाल से कोई बात नहीं हुई। रविवार सुबह जब अन्य कर्मचारी पावर हाउस के केबिन में पहुंचे, तो जयपाल के शव पूरी तरह जल चुका था। सिर्फ हड्‌डियां और सुलगती राख पड़ी थी।

रेलवे कर्मचारियों ने बताया, केबिन में जहां शव की राख मिली, वहां से कुछ दूरी पर हीटर रखा था। उसके पास रखी कुर्सी और टेबल भी जली मिली। हैरान करने वाली बात ये है कि रात में एक कर्मचारी जिंदा जलकर मर जाता है और उसकी जानकारी किसी को भी नहीं मिलती है।

केबिन की घड़ी पिघलकर रुकी, चार्जिंग पर लगा था मोबाइल
पावर हाउस के जिस केबिन में जयपाल ड्यूटी कर रहे थे, उसमें सुबह जब रेलवे के कर्मचारी कुंडी तोड़कर अंदर घुसे तो उनके होश उड़ गए। केबिन में लोहे के फ्रेम पर बनी लकड़ी की डेस्क पूरी तरह जलकर रख हो गई थी। केबिन में ही ऊंचाई पर लगी घड़ी पिघलकर रुक गई थी।

घड़ी में रात 1:35 बजे का वक्त दिखा रहा था। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि जयपाल 6 घंटे तक जलते रहे, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। केबिन में बाईं तरफ अलमारी के ऊपर लगा जयपाल का मोबाइल चार्जिंग पर लगा था। उसी से थोड़ी दूर पर हीटर भी जला पड़ा था। केबिन की छत धुएं से काली पड़ चुकी थी।

रोते बिलखते जयपाल के परिवार के लोग मौके पर पहुंचे। उन्होंने रेलवे अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा करने लगे। आरोप था कि जयपाल को पूरी रात अकेले ड्यूटी पर क्यों तैनात किया गया? कोई और कर्मचारी क्यों नहीं लगाया गया?

मृतक टेक्नीशियन जयपाल का एक बड़ा भाई मनोज और दो बहनें हैं। भाई-बहनों की शादी हो चुकी है। जयपाल अपनी मां सुशीला देवी और बड़े भाई के साथ एक ही घर में रहते थे। जयपाल के चचेरे भाई नितिन मित्रा ने बताया, “बीती रात वह ड्यूटी पर जाने के लिए निकले थे। रात 12 से सुबह 8 बजे तक उनकी ड्यूटी रेलवे पावर हाउस में थी। ड्यूटी जाने के बाद जयपाल की किसी से कोई बात नहीं हुई थी।

उनके जिंदा जलने की सूचना रेलवे के अफसरों ने दी। जब हम लोग पावर हाउस के अंदर गए, तो भाई के शव की राख टेबल के पास पड़ी थी। वो पूरी तरह से जल चुके थे। उनके अंदर कुछ भी नहीं बचा था।

वह घर के इकलौते कमाने वाले थे, उनके सहारे घर चलता था। अब परिवार का खर्च कौन उठाएगा, क्योंकि उनके बड़े भाई मनोज कुछ बोल पाले की स्थिति में नहीं हैं। वह घर का काम और बूढ़ी मां की देखभाल करते थे।”

रेलवे पावर हाउस बहुत बड़ा है। लेकिन सबसे बड़ी लापरवाही ये है कि वहां पर फायर अलार्म सिस्टम तक नहीं है। पावर हाउस के अंदर और बाहर एक भी CCTV नहीं है। विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही ये है कि इतने बड़े पावर हाउस में रात में सिर्फ एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई। जबकि एक से अधिक कर्मचारी की ड्यूटी लगाना चाहिए। ताकि किसी भी इमरजेंसी के समय एक कर्मचारी किसी को सूचित कर सके।

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