यूपी में BJP के 50% जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे
प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव- 2027 तक की कमान संभालने के लिए भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची तैयार हो गई है। 98 संगठनात्मक जिलों में से करीब 50% जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी के बाद 22 जनवरी तक घोषित कर दिए जाएंगे।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में सोमवार और बुधवार को हुई बैठक में क्षेत्रवार जिलाध्यक्षों के पैनल पर मंथन किया गया। अब अंतिम चरण में क्षेत्रीय अध्यक्ष और क्षेत्रीय प्रभारी के साथ चर्चा की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी की ओर से तय नीति के अनुसार लगातार दो बार जिलाध्यक्ष रहे 29 मौजूदा जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। साथ ही बाकी 69 में से भी करीब 20 से ज्यादा जिलाध्यक्ष हटाकर उनकी जगह नए चेहरों को देने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है।
पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नाम फाइनल कर लिए हैं। अब चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सूची पर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री संगठन बीएल संतोष से सहमति लेने के बाद लिस्ट घोषित की जाएगी।
जातीय समीकरण साधने की कवायद
प्रदेश कोर कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिलाध्यक्षों में जातीय समीकरण को साधा गया है। अगड़ी जातियों में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य के साथ भूमिहार और कायस्थ समाज को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा।
वहीं, पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक कुर्मी समाज, उसके बाद जाट, सैनी, शाक्य, कुशवाहा, राजभर, निषाद और यादव समाज के नेता भी जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे। दलित वर्ग में जाटव, पासी, खटीक और धोबी समाज को सबसे अधिक मौका मिलेगा। पार्टी ने प्रयास किया है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में सभी समाजों को क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व मिले।
चयन प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल
भाजपा में अब मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में विधायकों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई है। अधिकांश मंडल अध्यक्ष विधायक की पसंद से नियुक्त किए गए हैं। विधायकों ने गुटबाजी कर जिलाध्यक्ष का पैनल भी तैयार कराया है। जानकारों का मानना है कि इससे अब जिले में पूरा संगठन विधायकों के हाथ में चला जाएगा। मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष पार्टी से ज्यादा विधायकों के इशारे पर काम करेंगे। इससे एक ओर जहां सही फीडबैक प्रदेश तक नहीं पहुंचेगा वहीं, जिलों में गुटबाजी, नाराजगी और ज्यादा बढ़ेगी।
सदस्यता पैमाना नहीं
भाजपा ने यूपी में ढाई करोड़ से अधिक सदस्य बनाकर रिकॉर्ड बनाया है। सदस्यता अभियान में कार्यकर्ताओं ने हजारों की संख्या में सदस्य बनाए। लेकिन पार्टी की ओर से मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष में सदस्यता को पैमाना नहीं रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक पांच हजार से अधिक सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता पैनल से बाहर हैं, जबकि दो-तीन सौ सदस्य बनाने वाले नेता जिलाध्यक्ष के पैनल में जगह पा गए हैं।
भाजपा के चार क्षेत्रीय अध्यक्ष बदल सकते हैं
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की ओर से सभी छह क्षेत्रीय अध्यक्ष भी नियुक्त किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय और अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा की जगह नए क्षेत्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे।
इन चार क्षेत्रीय अध्यक्षों से विधायक और सांसद खफा है। नगरीय निकाय चुनाव 2023 में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति, लोकसभा चुनाव में भी शिकायत मिली थी। वहीं, काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल और ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष और ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय शाक्य को दोबारा मौका मिल सकता है।
नए अध्यक्षों को बदलने के पक्ष में नहीं भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी में 69 जिलाध्यक्ष ऐसे हैं जिन्हें 15 सितंबर 2023 को पहली बार अध्यक्ष बनाया गया था। उन्हें महज 16 महीने का ही कार्यकाल मिला है। ऐसे में बड़े नेता चाहते हैं कि इनमें ज्यादा बदलाव नहीं किया जाए। इनमें वही जिलाध्यक्ष बदले जाएं जिनके खिलाफ स्थानीय विधायक, सांसद, कार्यकर्ता या संघ से कोई शिकायत है।
जिलाध्यक्षों की दौड़ में धुल गया अभियान भाजपा के जिलाध्यक्षों की दौड़ में पार्टी की ओर से शुरू किया गया संविधान गौरव अभियान धुल गया है।11 से 25 जनवरी तक अभियान चलाना है। लेकिन जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया के चलते जिलों में इसकी कार्यशाला पूरी तरह नहीं हो सकी। वहीं, अब अधिकांश जिलाध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री, अध्यक्ष बनने के प्रयास में लखनऊ में डेरा जमाए हुए हैं। ऐसे में संविधान गौरव अभियान कागजों में ही चल रहा है।
प्रदेश पदाधिकारियों की नहीं चली सूत्रों के मुताबिक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति सीधे होने पर बड़ी संख्या में जिलाध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारियों की पसंद से बनाए जाते थे। लेकिन इस बार चुनाव प्रक्रिया के तहत चयन होने के कारण प्रदेश पदाधिकारियों की नहीं चली है। प्रदेश पदाधिकारियों को उनके गृह जिले में अध्यक्ष पद की चयन प्रक्रिया में भी औपचारिक रूप से ही शामिल किया गया।
विवादित जिलों की लिस्ट रोकी जाएगी सूत्रों के मुताबिक जिलाध्यक्ष पद को लेकर करीब 25 जिलों में सहमति नहीं बन रही है। लखीमपुर, हापुड़, अलीगढ़ महानगर, अलीगढ़ जिला, फिरोजाबाद में चुनाव स्थगित हुआ है। वहीं, करीब 20 जिलों में विवाद की स्थिति है। ऐसे जिलों के नाम फिलहाल लिस्ट में रोके जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया शुरू करने के लिए 50 फीसदी जिलाध्यक्ष घोषित होना अनिवार्य है, इसलिए करीब 70 जिलों में जिलाध्यक्ष घोषित किए जाएंगे।
सह प्रभारियों का दखल रहा
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में सह प्रभारी संजीव चौरसिया और संजय भाटिया का भी दखल रहा। राष्ट्रीय मुख्यालय तक बात पहुंची है कि प्रदेश के कई नेताओं ने पद हासिल करने के लिए दोनों से दिल्ली, बिहार और हरियाणा तक संपर्क साधा है।
पश्चिम और ब्रज में ज्यादा बदलाव होगा
जिलाध्यक्षों में पश्चिम और ब्रज क्षेत्र में ज्यादा बदलाव किया जाएगा। सबसे ज्यादा विवाद और शिकायतें पश्चिम व ब्रज क्षेत्र से ही सामने आई है। आगरा जिला, मुजफ्फरनगर और संभल में जिलाध्यक्ष के नाम पर चर्चा नहीं हो सकी है।
महिलाओं की संख्या बढ़ेगी
बीजेपी में अभी 98 में से मात्र 4 जिलों में महिला जिलाध्यक्ष है। लेकिन इस बार इनकी संख्या बढ़ेगी। हर क्षेत्र में कम से कम एक जिले में महिला जिलाध्यक्ष बनाने पर विचार किया है।