Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha: वैदिक मंत्रों के साथ राम मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या राम मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रामदरबार की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो चुकी है. आज श्रीराम जन्मभूमि परिसर में राजा राम और परकोटे में विराजमान अन्य देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया गया. संयोगवश इसी दिन मुख्यमंत्री का 53वां जन्मदिन भी है और उन्होंने इस अवसर पर भगवान श्रीराम का आशीर्वाद भी लिया. पिछले साल 22 जनवरी को राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और आज राम मंदिर परिसर के फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हुई है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए देशभर से 101 आचार्य बुलाए गए और वैदिक मंत्रों के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए गए. इस पावन अवसर पर आइए जानते हैं राम लला और राम दरबार की मूर्ति में क्या अंतर हैं…
संपन्न हुए धार्मिक अनुष्ठान
राम लला के प्रथम तल पर आज राम दरबार के साथ अन्य 7 देवी देवताओं की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस मौके पर राम मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है और पूरा वातावरण वैदिक मंत्रों व ऊर्जा से गुंजायमान है. सुबह 6 बजकर 30 मिनट से ही यज्ञ मंडप में सभी आचार्यों ने प्रवेश किया और इसके बाद से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू किए गए. श्रीराम दरबार के साथ शिवलिंग, गणपति, हनुमानजी, सूर्य देव, देवी भगवती और मां अन्नपूर्णा का मंदिर भी बनाया गया है और सभी मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई.
राम लला और राम दरबार- दोनों ही श्रीराम के दिव्य स्वरूप हैं, लेकिन इनके बीच भावात्मक, प्रतीकात्मक और पूजाविधि में विशेष अंतर है. चलिए इसे स्पष्ट रूप से समझते हैं…
राम लला की मूर्ति
राम का अर्थ राम है और लला का अर्थ होता है बालक या लाडला बेटा. राम लला का तात्पर्य है – बाल स्वरूप में भगवान श्रीराम. अयोध्या राम मंदिर में जो मुख्य विग्रह है, वह राम लला का है, एक पांच वर्षीय बालक के रूप में भगवान राम की मूर्ति है. राम लला का यह स्वरूप मासूमियत, भोलापन और बाल लीला का प्रतीक है. राम लला की पूजा में माता-पिता जैसा वात्सल्य, ममता और सेवा का भाव होता है. जैसे एक मां-बाप अपने छोटे बच्चे की देखभाल करते हैं, वैसे ही राम लला की सेवा होती है.
राम लला की मूर्ति श्याम शिला से बनी है क्योंकि प्रभु श्रीराम का रंग भी श्यामल था. साथ ही राम लाल की पूरी मूर्ति एक ही पत्थर से बनी है और इसमें किसी भी प्रकार का कोई जोड़ नही है. मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तराशी गई 51 इंच की मूर्ति करीब तीन अरब साल पुरानी है. साथ ही हजारों सालों तक इस मूर्ति को कोई नुकसान नहीं होगा और किसी भी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. रामलला की मूर्ति के लिए शालिग्राम पत्थर नेपाल की गंडकी नदी से लाए गया थे. इन पत्थरों को देवशिला भी कहा जाता है और इनको भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है. राम परिसर के गर्भगृह में मौजूद भगवान राम अकेले हैं, जो बाल स्वरूप में हैं.
राम दरबार की मूर्ति
राम दरबार का अर्थ है, भगवान राम का राजसी स्वरूप जब वे अयोध्या के राजा के रूप में विराजमान हैं. रामदरबार में भगवान राम राजा के रूप में विराजमान हैं और उनके साथ माता सीता, भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न मौजूद हैं. भाइयों के साथ ही श्री हनुमानजी हाथ जोड़कर प्रभु राम के चरणों में विराजमान हैं. राम दरबार का यह स्वरूप धर्म, न्याय, मर्यादा और आदर्श राजतंत्र का प्रतीक है. राम दरबार में प्रभु श्रीराम राजा राम होते हैं, जिन्होंने रघुकुल की मर्यादा, नीति और आदर्शों को स्थिर किया.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, 14 साल के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या आए थे तब उनका राज्याभिषेक किया गया. राज्याभिषेक के बाद राम राजा बने और उनके माता सीता भी भी सिंहासन पर विराजमान थीं और उनके साथ सभी भाई और भक्त हनुमानजी भी थे. जब सभी एक साथ दिखे तब यह दृश्य राम दरबार बना.
राम मंदिर परिसर के प्रथम तल पर मौजूद राम दरबार की मूर्तियां 40 साल पुराने संगमरमर के पत्थरों से बनाई गई हैं. मूर्तिकार सत्यनारायण ने बताया कि प्रभु राम के सिंहसान समेत राम दरबार की मूर्ति की ऊंचाई 7 फुट की है. इन मूर्तियों पर किसी भी मौसम और वातावरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इन मूर्तियों में हर प्रभाव को झेलने की क्षमता है. हनुमानजी और भरतजी की मूर्ति बैठी मुद्रा में है, जिसकी ऊंचाई ढाई फीट है. वहीं लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्ति खड़ी मुद्रा में है और इनकी ऊंचाई तीन तीन फीट है. हर रोज मूर्तिकाल सत्यनारायण 2 घंटे पूजा अर्चना करके परिक्रमा करते और हनुमान चालीसा का पाठ करते, तब लगातार 10 घंटे मूर्तियों को तराशते.