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पावटा : सिंचाई विभाग की नहर डंपिंग यार्ड में बदली, प्रशासन नहीं दे रहा कोई ध्यान

पावटा (राजेश कुमार हाडिया)। क्षेत्र के बुचारा बांध से पावटा, किराड़ोद तक जाने वाली सिंचाई विभाग की नहर आमजन के लिए परेशानी का सबब बनी है। विभिन्न गांवों में प्रशासनिक लापरवाही के चलते नहर डंपिंग यार्ड के रूप में तब्दील हो चुकी है। नहर में प्रतिदिन विभिन्न स्थानों पर कचरा डाला जाता है। जिसमें जैविक कचरा एवं सूखा कचरा और मृत पशु मुख्य है। नहर के कारण टोरडा गुजरान, टसकोला, रूपादास नगर, भौनावास, कुनेड़, पावटा क्षेत्र के ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है। वर्षो पुराने इस ग्रामीण ईलाके की इस नहर के गंदे पानी की समस्या ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है।

दूषित पानी एवं गंदगी से विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दूषित पानी मच्छरों को फैलने में मददगार साबित हो रहा है। लोगों में बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। गंदे पानी वाली यह नहर ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न गांव के घरों के पास से होकर गुजरती है। इसकी बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। इन परिस्थितियों से युवा एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ऐसे में लोगों ने इसके ढ़कने और सफाई की मांग की है। ग्रामीणों को लचर सफाई व्यवस्था की मार झेलनी पड़ रही है। विभिन्न विभागों की आपसी खींचतान के चलते स्थानीय निवासी परेशान है। सिंचाई विभाग के अधिकारी ने बताया कि नहर की सफाई समय-समय पर करवाई जाती है।

गांव की नालियों के गंदे पानी का निकास नहर में होने व ग्रामीणों द्वारा कचरा नहर में डालने की वजह से कुछ दिन बाद ही पहले जैसी हालत हो जाती है। वाइल्डलाइफ क्राईम कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व वॉलिंटियर महेश यादव का कहना है कि नहर को डंपिंग यार्ड बनाना तथा कूड़ा कर्कट एवं गंदा पानी डालना यह मानव जीवन के साथ जैव विविधता के साथ भी खिलवाड़ है और नहरों के संचालन के लिए विशेष कानून बने हुए हैं। जिनके अंतर्गत नहर विभाग अपना कार्य करता है। कोटपूतली बीसीएमओ डॉ. बिजेय यादव ने बताया कि रुके हुए पानी में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से समय-समय पर कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया जाता है। रुके हुए पानी से डेंगू, मलेरिया एवं जल जनित बीमारियां फैलने का खतरा रहता है।

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