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श्रावस्ती माडल एंटी भूमाफिया पोर्टल वाराणसी में बेअसर

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वाराणसी: राजातालाब (), योगी सरकार के सख्त निर्देश के आलोक में कुछ जगहों पर श्रावस्ती माडल के तहत अतिक्रमण हटाने को लेकर अभियान चलाया था। लेकिन अब सभी निर्देश फाइलों में ही दबे हुए है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सहित सूबे के सभी जिलो में सरकारी जमीन से अतिक्रमण खाली कराने को लेकर मुख्यमंत्री व प्रधान सचिव ने श्रावस्ती माडल के तहत सभी डीएम को निर्देशित करते हुए सभी विभाग के अधिकारियों से सूची की मांग कर अतिक्रमण हटाने का सख्त निर्देश दिया था। इस आदेश के आलोक में ग्रामीण पथ निर्माण, लघु सिचाई, पथ निर्माण, भवन निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, मत्स्य विभाग, राजस्व विभाग आदि ने अपने हिस्से के जमीन को अतिक्रमित भूमि का लिस्ट बनाकर विभाग को सौंपा था। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण अतिक्रमित भूमि के लगभग सभी जगहों से अतिक्रमण नहीं हट सका है। जिससे मुख्यमंत्री का यह फरमान बेअसर साबित होता हुआ दिख रहा है।

वही सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में कहा था, ‘चाहे जितनी निगरानी की जाए, अतिक्रमणकारियों को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कब्जा करने से नहीं रोका जा सकता है।
ये अतिक्रमणकारी जमीन पर कब्जे और अवैध निर्माण के लिए गिद्धों जैसे झपट्टा मारते हैं और कई बार सरकारी तंत्र की मिलीभगत से अपने अवैध कब्जे और निर्माण को नियमित भी करवा लेते हैं।’ लेकिन, जब मौसम चुनाव का हो तो अतिक्रमणकारियों की ताकत देखते ही बनती है।

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि, कई ऐसे मामले हैं जब सरकार ने उन लोगों के सामने समर्पण कर दिया जिन्होंने साफ-साफ अतिक्रमण,अवैध कब्जा और अवैध निर्माण कर रखा है। उदाहरण के लिए राजातालाब तहसील मुख्यालय के पास के कचनार गाँव में सरकारी चकरोड, रथयात्रा मार्ग, जल खाता आदि से अतिक्रमण हटाने के लिए स्थानीय लोगों ने अनेकों बार शिकायत किया के बावजूद आजतक अतिक्रमण अवैध क़ब्ज़ा नही हटाया गया है।

क्या है श्रावस्ती मॉडल

राजकुमार गुप्ता ने श्रावस्ती मॉडल के बारे में बताते हैं, “श्रावस्ती मॉडल की शुरुआत साल 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी निखिल चन्द्र शुक्ला (रिटायर) ने की थी। इसमें भूमि विवाद की समस्या से निपटने के लिए राजस्व व पुलिस की टीम साथ गाँव जाकर विवाद को खत्म करते हैं, जहां भूमि विवाद है वहां पर हफ्ते में एक दिन पूरी टीम जाकर कब्जा मुक्त कराती है।”

श्रावस्ती जिले में अभियान चला था जो सफल रहा। उसी को मॉडल बनाते हुए 2018 में पूरे प्रदेश में लागू किया गया है। इसमें हर थाना क्षेत्र में दो-दो टीम गठित की गई हैं। एक टीम में 10 लोग हैं। पांच पुलिस के और पांच राजस्व विभाग के। एक टीम को दो-दो गाँव दिए गए हैं। लक्ष्य हर गाँव को जमीन के विवाद से मुक्त कराना है। इस अभियान से काफी समाधान भी हो रहा है। सरकारी जमीन ही नहीं अन्य निजी विवाद भी इसमें निपटाए जा रहे हैं। आम लोग जमीन जुड़ी शिकायतों के लिए योगी सरकार ने एंटी भूमाफिया पोर्टल ( http://jansunwai.up.nic.in/abmp.html ) भी बनाया था। लेकिन प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र में ये सब बेअसर है यहाँ अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद है।

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