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बिहार में पहली बार CAA के तहत महिला को मिली भारतीय नागरिकता

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भोजपुर. बिहार में पहली बार किसी विदेशी नागरिक को CAA के तहत भारतीय नागरिकता दी गई है. ये महिला आरा की चित्रटोली रोड की रहने वाली है. भारतीय नागरिकता दिलाने में इस महिला की तीन बेटियों ने भी बहुत संघर्ष किया. बता दें कि देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (सीएए) लागू होने के बाद बिहार में एक विदेशी महिला को पहली बार भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है. इस महिला के पास बांग्लादेश की नागरिकता थी. वह भोजपुर जिले में 39 साल से रह रही है. लेकिन, देश में सीएए कानून लागू होने के बाद उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था.

भारतीय विदेश मंत्रालय, सीबीआई, भारतीय डाक विभाग, पासपोर्ट विभाग, बिहार सरकार व सीआईडी की जांच के बाद अब तक बांग्लादेशी नागरिक रहीं सुमित्रा रानी साहा को भारतीय नागरिक घोषित कर दिया गया है. सुमित्रा को भारतीय नागरिक बनने में 39 साल तक कठिन प्रयास करना पड़ा. उनकी शादी साल 1985 में हुई. इसके बाद में वह भोजपुर जिला आई थी. अभी इनकी उम्र 60 साल है. यहां उनका अपना परिवार है. इन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए कई बार अपनी बेटी के साथ कार्यालयों का चक्कर काटती रहीं. उनका पासपोर्ट बांग्लादेश का था. भारत में रहने के लिए उनको बार-बार वीजा रिन्यूअल कराना पड़ता था. अभी भी वीजा साल-2025 तक अपडेट है. लेकिन इससे वह स्थाई रूप से भारतीय नागरिक बनने के लिए इस झमेला से छुटकारा पाना चाहती थी. इस बीच देश में कानून लागू हुआ. इससे सुमित्रा के मन में आस जगी. परिवार के सहयोग से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया. भारतीय नागरिकता देने के लिए महिला के कागजातों की कई स्तर से जांच की गई. सीबीआई ने भी मामले पर काफी जांच की. इसके बाद सीबीआई की रिपोर्ट और अन्य कागजातों की जांच के बाद अंततः सुमित्रा रानी साह्य को भारतीय नागरिकता प्रदान कर दी गई है.

ऐसे मिली सीएए के तहत नागरिकता
पति के निधन के बाद सुमित्रा रानी साहा का जीवन काफी संघर्षमय रहा. परिवार के जीविकोपार्जन के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. उनका यह मानना था कि एक बार ससुराल आ गई हूं दोबारा बांग्लादेश जाकर नहीं बसूंगी. यहां की नागरिकता के लिए जो भी संघर्ष होगा, वह किया जाएगा. इस काम में उनकी बेटी ने काफी सहयोग किया. भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए बेटी लगातार सरकारी विभागों के पोर्टल पर नियमों का अध्ययन करती रही. बेटी को जैसे ही नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (सीएए) की जानकारी हुई, तुरंत आवेदन कर दिया गया. परिवार ने सरकारी प्रक्रियाओं का अनुपालन किया. डाक अधीक्षक और समिति के सदस्य पवन कुमार ने बताया कि काफी गोपनीय तरीके से पूरी जांच की गई. सही पाए जाने पर कमेटी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) के आधार संख्या IIIА अनुभाग के अंतर्गत 5 (1) (सी) के तहत महिला को नागरिकता प्रदान कर दी है.

लोग कहते थे बांग्लादेशी
भारतीय नागरिकता लेने वाली सुमित्रा प्रसाद ने बात करते हुए बताया कि लगातार 40 साल से भारतीय नागरिकता के लिए हमने कई जगह पर आवेदन किया लेकिन कभी कोई सुनवाई नहीं हुई. इस बीच जब हमारे पड़ोसियों के साथ किसी बात को लेकर के विवाद होता था तो उन लोगों के द्वारा ताना भी मारा जाता था और कहा जाता था कि यह बांग्लादेशी हैं इसे सपोर्ट नहीं करना है इसे यहां पर संपत्ति भी नहीं देना है, इसको वापस बांग्लादेश भेजो. कभी-कभी पुलिस और सीआईडी वाले भी आते थे और आकर के बोलते थे कि आप बांग्लादेश चले जाइए. आपका यहां पर कुछ नहीं है अपनी बेटियों को लीजिए और बांग्लादेश चले जाइए, लेकिन हमने हार नहीं मानी और अपने पासपोर्ट और वीजा को अपडेट करते रहे और लड़ाई भी जारी रखी. इस बीच जब नया कानून लागू किया गया इसके बारे में मेरी बेटी को जानकारी मिली और उसके माध्यम से हम सारे दस्तावेज को तैयार करके अप्लाई किया और एक महीना के अंदर ही हमें भारतीय नागरिकता दे दी गई. इसके लिए हम मोदी जी को भी धन्यवाद करते हैं कि उनके वजह से हम भारतीय बन चुके हैं.

अब बनी भारतीय नागरिक
बता दें कि सुमित्रा देवी मूल रूप से कटिहार की रहने वाली हैं लेकिन बचपन में ही पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के साथ वह बांग्लादेश चली गई, जिसके बाद उनके सभी दस्तावेज बांग्लादेश के हो गए और जब शादी करने के लिए यहां आई तो बांग्लादेश के दस्तावेज पर ही सब कुछ हुआ लेकिन दोबारा वह बांग्लादेश नहीं जाना चाह रही थी. इसके बाद कड़ी संघर्ष के बाद उनको एक बार फिर से भारतीय नागरिकता मिल चुकी है और वह पूरी तरीके से भारतीय हो चुकी हैं.

We had nothing here, so we took our daughters and went to Bangladesh, but we didn’t give up and kept updating our passports and visas and continued fighting. Meanwhile, when the new law was implemented, my daughter learned about it and through her, we prepared all the documents and applied, and within a month, we were granted Indian citizenship. We are grateful to Mr. Modi for making us Indian citizens. **Now a proud Indian citizen.
**Sumitra Devi originally hails from Katihar, but she went to Bangladesh with her aunt for education during her childhood. As a result, all her documents became Bangladeshi. When she came here for marriage, everything happened based on her Bangladeshi documents, but she didn’t want to go back to Bangladesh again. After a long struggle, she has regained Indian citizenship and she is now completely Indian.

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