पितृ पक्ष के 15 दिनों में सूर्य और चंद्र ग्रहण! होगा शुभ या अशुभ?
अयोध्या : हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे श्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है. पितृ पक्ष कि पूर्ण अवधि पितरों को समर्पित है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर को शुरू हो रहा है वहीं, इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. गौरतलब है कि, पूर्णिमा तिथि पितृ पक्ष की शुरुआत और अमावस्या तिथि इसके समापन का प्रतीक है. इन 16 दिनों के दौरान लोग पितरों को याद कर उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. इस बार पितृ पक्ष के दूसरे दिन ही चंद्र ग्रहण का साया है.जबकि समापन सूर्यग्रहण के साथ होगा.
दरअसल, पितृपक्ष के दूसरे दिन ही चंद्र ग्रहण का साया रहेगा. पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है. जबकि समापन सूर्य ग्रहण के साथ होगा. यानि 15 दिनों के अंदर दो बार ग्रहण लगेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है और अश्विन अमावस्या तिथि को पितृ पक्ष का समापन होगा. इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 2 अक्टूबर को समाप्त होगा. इतना ही नहीं इस वर्ष पितृ पक्ष में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का साया भी देखने को मिलेगा तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं .
18 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण है. हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा. वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर की रात 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा और देर रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा. यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं. लिहाजा दूसरे सूर्य ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. लिहाजा अमावस्या पर पितरों को विदाई देने के श्राद्ध, तर्पण आदि अनुष्ठान में कोई रुकावट नहीं आएगी
एक ही पक्ष में यानी की 15 दिन के अंदर चंद्र और सूर्य ग्रहण लगा यह अच्छा संकेत नहीं होता. लिहाजा इस दौरान संभल कर रहने की जरूरत है. साथ ही पितृ पक्ष पर भी ग्रहण का साया शुभ नहीं माना जाएगा. इस दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने की मनाही होती है.