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फरवरी 2025 में दुनिया भर में तीसरा सबसे गर्म फरवरी महीना रहा

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आख‍िर वो डरावनी घड़ी आ गई. जब मुंबई-कोलकाता जैसे शहरों पर डूबने का खतरा होगा. घर से बाहर निकलते ही आपकी स्‍क‍िन जल उठेगी. दरअसल, यूरोप के जलवायु निगरानी संगठन की एक रिपोर्ट बता रही है क‍ि फरवरी में दुनिया भर में समुद्री बर्फ का दायरा घटकर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. इतना ही नहीं, हमेशा बर्फ से ढंके रहने वाले नॉर्थ पोल के पास तापमान सामान्य से 11 डिग्री सेल्सियस तक ज्‍यादा रिकॉर्ड क‍िया गया है.

कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने कहा कि फरवरी 2025 में दुनिया भर में तीसरा सबसे गर्म फरवरी महीना रहा. ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन ने धरती के तापमान को बढ़ाया है. इस गर्मी की वजह से अंटार्कटिक और आर्कटिक महासागरों में जमी बर्फ का दायरा घटकर 7 फरवरी को 16.04 मिलियन वर्ग किलोमीटर रह गया, जो अब तक का सबसे कम है. यूरोपीय सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट की समांथा बर्गेस ने बताया कि पिछले दो सालों से दुनिया भर में तापमान का रिकॉर्ड टूटता जा रहा है. गर्म होती दुनिया का एक नतीजा यह है कि समुद्री बर्फ पिघल रही है. बर्फ के कम होने से मौसम, लोगों और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है. जब बर्फ पिघलकर पानी में बदलती है तो सूरज की गर्मी सोखने लगती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और भी तेज़ हो जाती है.

कोपरनिकस के मुताबिक, अंटार्कटिक में फरवरी के दौरान समुद्री बर्फ का दायरा औसत से 26 प्रतिशत कम था. आर्कटिक में भी दिसंबर से समुद्री बर्फ का दायरा कम होता जा रहा है. फरवरी में यह औसत से 8 प्रतिशत कम था. ब्रिटेन के नेशनल ओशनोग्राफी सेंटर में प्रोफेसर साइमन जोसी ने बताया कि समुद्र और वातावरण के बढ़ते तापमान की वजह से अंटार्कटिक में बर्फ फिर से नहीं जम पा रही है. फरवरी में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 1.59 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा था. उत्तरी ध्रुव के पास कुछ इलाकों में तापमान औसत से 11 डिग्री सेल्सियस तक ज़्यादा दर्ज किया गया.

कई शहर होंगे जलमग्‍न
1.आर्कटिक, अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने से समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ेगा.
2.तटीय शहर जैसे मुंबई, कोलकाता, न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो डूबने का खतरा बढ़ जाएगा.
3.छोटे द्वीपीय देश (जैसे मालदीव) पूरी तरह जलमग्न हो सकते हैं.

आसमान से बरसेगी आग
1. बर्फ सूर्य की किरणों को परावर्तित (Reflect) करके धरती को ठंडा रखती है.
2. बर्फ कम हो जाएगी, तो धरती अधिक गर्मी अवशोषित करेगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और तेज़ होगी.
3.अधिक गर्मी का मतलब अधिक हीटवेव, सूखा और चरम मौसम की घटनाएं होंगी.

पानी बिना मरेंगे जीव
1. हिमालय, आल्प्स और एंडीज़ जैसी पर्वत श्रृंखलाओं की बर्फ पिघलने से गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिंधु जैसी नदियों में पानी की कमी हो सकती है. कृषि और पेयजल आपूर्ति प्रभावित होगी, जिससे भूखमरी और जल संकट बढ़ सकता है.
2.पोलर बीयर्स, पेंगुइन, सील, वॉलरस और अन्य आर्कटिक जीवों का घर खत्‍म हो जाएगा. मछलियों और समुद्री जीवों की प्रजातियां बदलते तापमान के कारण विलुप्त हो सकती हैं.

तबाही ही तबाही
ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्री धाराएं (Ocean Currents) प्रभावित होंगी, जिससे अत्यधिक बारिश, बर्फीले तूफान और सूखा देखने को मिलेगा. एल नीनो और ला नीना जैसे जलवायु पैटर्न और अधिक अस्थिर हो सकते हैं.

खाने का सामान हो जाएगा महंगा
तापमान में वृद्धि से गेहूं, चावल, मक्का, सब्ज़ियाँ और फलों की पैदावार प्रभावित होगी. सूखा और बाढ़ के कारण किसान भारी नुकसान झेल सकते हैं. खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे वैश्विक भूख और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी.

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