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क्या कहता है कानून :: कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली CISF कॉन्स्टेबल जाएगी जेल या छिनेगी नौकरी?

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कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को थप्पड़ मारने वाली CISF कांस्टेबल कुलविंदर कौर (Kulwinder Kaur) के खिलाफ पंजाब पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. सीआईएसएफ ने खुद मोहाली पुलिस को कुलविंदर कौर के खिलाफ शिकायत दी. इसके बाद कौर के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 341 में FIR दर्ज हुई. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. दूसरी ओर, सीआईएसएफ खुद डिपार्टमेंटल इंक्वायरी भी कर रहा है.

आईपीसी की धारा 323 में किसी को जानबूझकर चोट अथवा नुकसान पहुंचाने के लिए सजा का प्रावधान है. इस धारा में कहा गया है कि अगर किसी ने वॉलंटरी (जानबूझकर) किसी दूसरे व्यक्ति को चोट पहुंचाई है तो उसके खिलाफ 323 के तहत कार्रवाई हो सकती है. चोट से मतलब हल्की चोट (Minor Injury) से है. जैसे खरोंच, हल्के घाव, मामूली चोट आदि. धारा 323 के तहत अपराध साबित करने के लिए तीन फैक्टर होने चाहिए.

A- जानबूझकर चोट पहुंचाना: इसका मतलब यह है कि पीड़ित को जानबूझकर चोट पहुंचाई गई हो. चोट पहुंचाने के पीछे कोई उद्देश्य रहा हो.
B- शारीरिक नुकसान: पीड़ित व्यक्ति को चोट की वजह से शारीरिक नुकसान होना चाहिए. जैसे कट, खरोंच, या तरह का और कोई निशान.
C- अचानक उत्तेजना न हो: मतलब यह कि आरोपी ने अचानक उत्तेजना (Sudden Provocation) में ऐसा ना किया हो, बल्कि हमला पूरी तरह सोच-समझ कर और पूर्ण नियोजित तरीके से जानबूझकर किया हो.

कितनी सजा?
अगर किसी व्यक्ति को आईपीसी की धारा 323 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 1 साल तक की जेल हो सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है. अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी से कहते हैं कि यहां ध्यान रखने वाली बात है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे पर हथियार से हमला कर देता है तब वह गंभीर चोट के दायरे में आता है. 323 के साथ 308 और 302 भी लग सकती है. इस केस में सजा बढ़ जाती है.

आईपीसी की धारा 341 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे शख्स को कहीं जाने से जबरन अथवा गलत तरीके से रोकता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. इस धारा में कहा गया है कि संबंधित व्यक्ति को साधारण कैद अथवा जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है. कैद या जेल 1 महीने की हो सकती है. विशेष केस में जेल की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है. ₹500 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

सेक्शन 323 और सेक्शन 341 दोनों जमानती अपराध (Bailable Offences) हैं. एडवोकेट आदर्श तिवारी कहते हैं कि इन दोनों धाराओं में मुकदमा होने पर आरोपी के जेल जाने की लगभग ना के बराबर संभावना होती है. बहुत आसानी से जमानत मिल जाती है. एक और जरूरी बात यह है कि अगर इन धाराओं में मुकदमा दर्ज होता है तो आरोपी, पीड़ित पक्ष के साथ समझौता करके मामले को खत्म कर सकता है. इस तरह के मुकदमे किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुने जाते हैं.

थप्पड़ कांड के बाद सीआईएसएफ ने फौरन कांस्टेबल कुलविंदर कौर को सस्पेंड कर दिया है. उनके खिलाफ डिपार्मेंटल इंक्वारी शुरू कर दी है. खुद सीआईएसएफ के डीआईजी (एयरपोर्ट सिक्योरिटी) विनय काजला मामले की जांच कर रहे हैं. शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी कांस्टेबल का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत साफ-सुथरा रहा है. पहले इस तरह की किसी घटना में शामिल नहीं रही हैं.

सीआईएसफ को करीब से जाने वाले एक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के मामले में निलंबन के बाद जांच होती है. यदि आरोपी गंभीर अपराध का दोषी पाया जाता है तो बर्खास्तगी (टर्मिनेशन) की कार्रवाई की जा सकती है. हल्के अपराध में वार्निंग देकर भी छोड़ा जा सकता है. पूरी जांच में आरोपी का ट्रैक रिकार्ड बहुत मायने रखता है.

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