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रक्तदान मानव जीवन को बचाने वाली एक सर्वोपरि सेवा है : सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज

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सेवापुरी।“निरंकार प्रभु ने हमें यह जो मानव जीवन दिया है इसका प्रत्येक पल मानवता के प्रति समर्पित हो सके; परोपकार का ऐसा सुंदर भाव जब हमारे हृदय में उत्पन्न हो जाता है तब वास्तविक रूप में समूची मानवता हमें अपनी प्रतीत होने लगती है। फिर सबके भले की कामना ही हमारे जीवन का लक्ष्य बन जाता है।“

उक्त उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर समस्त श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मानव एकता दिवस का पावन अवसर बाबा गुरबचन सिंह जी की मानवता के प्रति की गयी उनकी सच्ची सेवाओ को समर्पित है जिससे निरंकारी जगत का प्रत्येक भक्त प्रेरणा लेकर अपने जीवन का कल्याण कर रहा है।संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा आज संपूर्ण भारतवर्ष के लगभग 207 स्थानों पर विशाल रूप में रक्तदान शिविर की श्रंखलाओं का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50,000 युनिट रक्त संग्रहित किया गया। साथ ही वाराणसी के बाबतपुर निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित रक्तदान शिविर में सभी रक्तदाताओं ने अत्यंत उत्साहपूर्वक स्वैच्छिक भाव से लगभग 260 युनिट रक्तदान किया। ।मानव एकता दिवस के अवसर पर रक्तदान शिविर में जन समूह को सम्बोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने फरमाया कि सेवा का भाव सदैव निष्काम ही रहा है। ऐसी भावना जब हमारे मन में बस जाती है तब हमारा जीवन वास्तव में मानवता के कल्याणार्थ समर्पित हो जाता है।
रक्तदान, मानव जीवन को बचाने हेतु की जाने वाली एक ऐसी सर्वोपरि सेवा है जिसमें परोपकार की निःस्वार्थ भावना निहित है।

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